मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की नाव झंझावत में है। उसे किनारे लगाने के लिए भाजपा ने समर्थन दे दिया है। लेकिन नाव तट को छुयेगी या ‘जलसमाधि’ ले लेगी, यह राजद के बगावत पर निर्भर करता है। कल भाजपा की घोषणा के बाद मांझी खेमा की सरगर्मी तेज हो गयी थी और मांझी ने राहत की सांस ली थी।
वीरेंद्र यादव
रात भर विधायकों को बांधे और जोड़े रखने की कवायद के बीच इतना स्पष्ट हो गया है कि भाजपा और जदयू के विधायक अपनी पार्टी के निर्णय के साथ हैं। लेकिन नीतीश का समर्थन देने वाले राजद, कांग्रेस और सीपीआई के 30 विधायकों में सेंधमारी की कोशिश की जा रही है। हालांकि नीतीश खेमा भी मांझी समर्थक जदयू विधायकों पर डोरे डालता रहा। राजद के सांसद पप्पू यादव ने मांझी के समर्थन की घोषणा करके राजद, कांग्रेस और सीपीआई विधायक दल में सेंधमारी की कोशिश की है। लेकिन पप्पू यादव कितने विधायकों को जुटाने में सफल रहे, यह वोटिंग के दौरान ही स्पष्ट होगा।
भाजपा ने वोट दिया है, भरोसा नहीं
भाजपा ने विधानसभा में मांझी सरकार को समर्थन देने की घोषणा की है, सरकार बचाने का भरोसा नहीं दिया है। यानी भाजपा ने मांझी के समर्थन में बगावत करने वाले जदयू, राजद, कांग्रेस या सीपीआई विधायकों को टिकट देने का कोई आश्वासन नहीं दिया है। भाजपा ने आर्थिक लाभ पहुंचाने का भी कोई वचन नहीं दिया है। यह भी एक कारण है कि नीतीश खेमे में बगावत का स्वर धीमा है। लेकिन नीतीश समर्थक अन्य पार्टियों में टूट और बगावत की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।