बिहार के एक पूर्व डीजीपी को साथ लेकर राष्ट्रीय जनता दल बड़ा गेम खेलने की तैयारी में है, स्थितियां अनुकूल रहीं तो उन्हें नीतीश कुमार के गृह लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा जा सकता है.
विनायक विजेता
यह पूर्व आईपीएस आशीष रंजन सिन्हा हैं. राष्ट्रीय जनता दल आशीष रंजन सिन्हा के सहारे एक साथ कई टार्गेट को निशाने पर ले सकता है. जहां वह इन पूर्व पुलिस महानिदेशक के सहारे कुर्मी समाज को अपनी तरफ आर्कषित करने की रणनीति बना सकता है तो वहीं दूसरी ओर पांच लाख की आबादी वाले बिहार के सबसे बड़े कुर्मी बहुल लोकसभा क्षेत्र में अवधिया कुर्मी के वर्चस्व को धमौल कुर्मी समाज से कंट्रौल कर सकता है. मालूम हो कि नालंदा में अकेले धमौल कुर्मी की आबादी सबसे ज्यादा है.
गौरतलब है कि पूर्व डीजीपी नालंदा के ही एकंगरसराय थाना क्षेत्र के सूंडीबीघा गांव के निवासी हैं और वह कूर्मी जातिं उस धमौल वर्ण से आते हैं जिस धमौल कुर्मी की त के नालंदा में लगभग 44 प्रतितशत मतदाता हैं.
मालूम हो कि नालंदा के कुर्मी जाति के लोग पांच वर्णों मं बटें हैं. धमौल कूर्मी के बाद कोचैसा कुर्मी, तीसरे नंबर पर समसमार कुर्मी और सबसे अंत में अवधिया कुमी्र की संख्या है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अवधिया कुर्मी हैं. जबकि जदयू के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस आरसीपी सिन्हा समसमार कुर्मी जाति से आते हैं.
इसी प्रकार इस क्षेत्र के एक विधायक हरिनारायण सिंह कोचैसा ओर नालंदा के वर्तमान सांसद कौशलेन्द्र कुमार धमैला कुर्मी जाति से आते हैं.
ध्यान देने वाली बात है कि पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा कि निकटता पिछले दो सालों में लालू प्रसाद के साथ काफी बढ़ी है. सूत्र बताते हैं कि लालू के जेल के पहले से ही वह कई राजनीतिक रणनीतियां तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं.
मालूम हो कि पटना के एक पत्रकार के परिजन के शादी समारोह में लालू प्रसाद ने आशीष रंजन सिन्हा को मजाक-मजाक में नालंदा से चुनाव लड़ने का न्योता भी दे चुके हैं. हालांकि औपचारिक रूप से राजद ने अभी यह तय नहीं किया है क्योंकि इसमें अभी कई तरह के पेंच हैं- जैसे राजद-लोजपा-कांग्रेस गठबंधन की स्थिति में यह सीट राजद को मिलती है या नहीं. पर अभी तक आशीष रंजन सिन्हा की उम्मीदें बरकरार हैं.
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