मौजूदा राजनीति के चर्चित चेहरों में से एक राजनाथ सिंह के सफरनामे के बारे में बता रहे हैं अमन पथ के सम्पादक देशपाल सिंह पंवार
छवि साफ सुथरी। कोई भ्रष्टाचार का दाग नहीं। राजनीतिक कैरियर अब तक बेदाग। पर विवादों से नाता। भाजपा के हर गुट से अलग। कहने वाले कहते हैं अपना ही गुट चलाते हैं। हां सबके साथ रिश्ते बेहतर। संघ से सलाह लेना नहीं भूलते। यानी संघ का पूरा हाथ। गलतियों पर साथियों से भी माफी मांगने में भी हिचक नहीं। कहने वाले कहते हैं कोई अहं नहीं। यूपी से आते हैं पर आज राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित।
भौतिकी के प्रोफेसर
लोकसभा चुनाव में यूपी का तजुर्बा काम आएगा। अच्छी हिंदी बोलते हैं। भाषण देने की कला में अटल की तरह पारंगत। राजनीति की बारीकियों पर भी गहरी पकड़। खुद तय करते हैं अपना रास्ता। जुबान दूसरों की तरह फिसलने नहीं देते। धीर गंभीर छवि काम आती है। राह बेहद कठिन। कई चुनौतियां। मोदी को आगे करने के तीर खुद पर झेलने पड़ रहे हैं। पार्टी में अंतरकलह। आडवाणी खेमे से पार पाने में दिक्कतें। बड़े नेताओं में अहं का टकराव। 2014 में असली परीक्षा। कार्यकर्ताओं में 90 के दशक का जोश पैदा करना। कल्याण सिंह और कलराज मिश्रा जैसे नेताओं से नहीं बनती।
बनारस के पास का जिला चंदौली। वहां किसान परिवार में जन्में 62 वर्षीय राजनाथ सिंह। भारतीय राजनीति के आज सबसे चर्चित राजनेताओं में से एक।
पर वो भी एक दौर था। जमाना इंदिरा गांधी का था। पाकिस्तान के दो टुकड़े हो रहे थे। तब राजनाथ सिंह भौतिकी के प्रोफेसर हुआ करते थे। पढ़ाते कम थे और राजनीति ज्यादा सीखते थे। संघ का दामन थामा। बड़े नेताओं की संगत पाई। जिलाध्यक्ष से बढ़ते-बढ़ते लखनऊ और दिल्ली फतह। यूपी के शिक्षा मंत्री रहे। हर कोई मानता है कि यूपी ने आज तक उन जैसा शिक्षा मंत्री नहीं दिया। नकल बंद। शिक्षा का स्तर बढ़ा।
आडवाणी की नजर में जिद्दी
मुख्यमंत्री बने तो माफियाओं पर नकेल कसने के लिए एसटीएफ का गठन। अपराधियों की शामत। अपने आदर्श अटल बिहारी वाजपेयी के राज में देश के कृषि मंत्री भी बने। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बाद दो बार भाजपा अध्यक्ष बनने वाले तीसरे राजनेता।
राजनीतिक कलाकौशल में पूरी तरह पारंगत। अटल की तरह भाषण देने में माहिर। वो भी धारा प्रवाह और आम आदमी की समझ में आनी वाली हिंदी में। राजनीतिक विरोधी भी मानते हैं लोहा। साथ ही विवादों में घिरे रहने वाले व्यक्तित्व । पार्टी के अंदर और बाहर से लगातार चुनौतियां। एल के आडवाणी की नजर में जिद्दी। आडवाणी के दाएं हाथ सुधींद्र कुलकर्णी की नजर में लोमड़ी । ना जानें कितने फतवे और कितनी उनके बारे में बातें। जितनें मुंह-उतने बोल।