मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारी यात्राओं की सबसे बड़ी ताकत साबित होती हैं जीविका दीदी। योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी से लेकर सभाओं में भीड़ जुटाने की जिम्मेवारी तक जीविका दीदी की होती है। अपनी यात्राओं में सीएम जीविका से जुड़ी महिलाओं के लिए अलग से कार्यक्रम तय करते हैं और उन्हें संबोधित करते हैं।
वीरेंद्र यादव
निश्चय यात्रा 2 (अंतिम)
मुख्यमंत्री की चेतना सभा की सफलता जीविका दीदी, अक्षर आंचल योजना से जुड़ी कार्यकर्ताओं और छात्राओं की उपस्थिति पर निर्भर करती है। मुजफ्फरपुर में आयोजित चेतना सभा के लिए सौ से अधिक बसों में सवार होकर जीविका दीदी आयी हुई थीं। पुलिस लाइन मैदान से थोड़ी ही दूरी पर एक अन्य मैदान बसों को लगाया था। जगह कम पड़ी तो दूसरी जगह पर भी बसों को खड़ा किया गया। ये बसें जिले भर के प्रखंडों और पंचायतों से आयी थीं और सभी बसों पर पंचायत के नाम के साथ चेतना सभा का बैनर भी लगा हुआ था। इसके साथ ही अक्षर आंचल योजना की कार्यकर्ताओं और छात्राओं की तादाद भी काफी थी।
नीतीश ने बदला ट्रेंड
मुख्यमंत्री की सभाओं की सफलता का जिम्मा आमतौर पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं की होती है। भीड़ जुटाने का काम भी कार्यकर्ता ही करते हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने इस ट्रेंड को बदला है। उन्होंने सरकारी योजनाओं के साथ महिलाओं को जोड़ा, महिलाओं की भागीदारी बढ़ायी और उसी भागीदारी को सभा में तब्दील कर दिया। जीविका दीदी, अक्षर आंचल की कार्यकर्ता, सेविका-सहायिका से लेकर आशा-ममता तक सभी भीड़ जुटाने की ‘सरकारी कैडर’ बन गए हैं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विकल्प बन गये हैं। विपक्ष पार्टियां इसे संसाधनों के दुरुपयोग करने का आरोप लगा सकती हैं। लेकिन आज सरकारी योजनाओं से जुड़ी और लाभान्वित हो रही महिलाएं सत्तारूढ दल की वोटर हों या नहीं, लेकिन ताकतवर भीड़ जरूर बन गयी हैं। मुख्यमंत्री के जिलावार दौरों में राजनीतिक कार्यकर्ता हाशिए पर पहुंच गए हैं और विभिन्न योजनाओं से जुड़ी महिलाएं सरकार की ताकत बन रही हैं।
पुरुष हाशिए पर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय यात्रा के दौरान चेतना सभा में अधिकतर श्रोता महिलाएं ही होती हैं। यह सभा महिलाओं को केंद्र में रखकर ही आयोजित किया जाता था। मुजफ्फरपुर की चेतना सभा में पुरुषों की संख्या काफी कम रही, जबकि पूरा पंडाल महिलाओं से भरा हुआ था। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी साक्षरता, शराबबंदी आदि से जुड़े विषयों पर थे।
हर स्तर पर चौकसी
निश्चय यात्रा को लेकर प्रशासन की चौकसी हर स्तर पर दिखती है। जिन-जिन जिलों में मुख्यमंत्री की यात्रा होती है, उन जिलों में योजनाओं की गति तेज हो जाती है। सात निश्चय को लेकर प्रशासन भी सतर्क रहता है। मुजफ्फरपुर में हम मुख्यमंत्री के शुरुआती दो कार्यक्रमों में नहीं पहुंच पाए थे। उन कार्यक्रमों को लेकर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह का कहना था कि दोनों काफी बढि़या कार्यक्रम थे और बदलते बिहार के उदाहरण थे। खुले में शौच से मुक्ति योजना से गांव की तस्वीर बदलने लगी है।
निश्चय यात्रा को लेकर उत्साह
सात निश्चय के तहत संचालित हो रही योजनाओं के कार्यान्वयन, निगरानी और प्रगति को लेकर शुरू हुई मुख्यमंत्री की निश्चय यात्रा का एक लाभ तो साफ तौर पर दिखता है कि इन योजनाओं को लेकर आम लोगों में भी उत्साह दिख रहा है और लोग इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं। इन योजनाओं में आम लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है। इसके साथ इन योजनाओं से लाभान्वित होने वाला वर्ग या व्यक्ति मुख्यमंत्री का समर्थक और प्रशंसक भी बन रहा है। निश्चित रूप से निश्चय यात्रा एक सरकारी कार्यक्रम है और सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार की रणनीति का हिस्सा है। लेकिन प्रत्यक्ष लाभ मुख्यमंत्री से ज्यादा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को मिलता दिख रहा है। इस यात्रा में सत्तारूढ गठबंधन के सहयोगी दल राजद व कांग्रेस हाशिए पर ही नजर आते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से यह जदयू का राजनीतिक एजेंडा दिखने लगता है। चूंकि जदयू सरकार में है, इसलिए सरकार और जदयू के एजेंडों को अलग-अलग करना मुश्किल हो जाता है।