लालू प्रसाद पिछले तीन महीने से अपनी निजी व्यस्तताओं के बाद हजारों समर्थकों के साथ पटना की सड़कों पर उतरे. उन्होंने केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ राजभवन मार्च किया.
नौकरशाही ब्युरो
उन्होंने कहा कि आज से लड़ाई की शुरूआत हो गयी है. केंद्र की भाजपा सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ लालू का यह मार्च बिहार में राजनीत की जमीन को मजबूत बनाने की पहल के रूप में माना जा रहा है. अपनी बेटी की शादी और उससे पहले स्वास्थ्य कारणों से पिछले कई महीनों से असक्रिय रहे लालू की इस साल की यह राजनीति की पहली सक्रिय भागीदारी है.
नीतीश कुमार द्वारा भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ उपवास के दूसरे दिन लालू का इसी मुद्दे पर राजभवन मार्च से यह साफ हो गया है कि बिहार में भाजपा के खिलाफ मोर्चेबंदी की शुरुआत हो गयी है. छह महीने बाद होने वाले असेम्बली चुनावों की तैयारी और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आम जन में जागरुकता बढ़ाने की दिशा में यह उठाया गया कदम माना जा रहा है.
पटना के गांधी मैदान से राजभवन की दूरी लगभग चार किलो मीटर है. राजद कार्यकर्ताओं की हजारों की भीड़ और मोदी सरकार के खिलाफ नारों से लिखे बैनरों से सड़कें पटी रहीं. लालू ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि बिहार जयप्रकाश और कर्पूरी की भूमि है हम यहां भाजपा की मनमानी नहीं चलने देंगे.
उन्होंने कहा कि महाभारत की लड़ाई एक इंच भूमि के लिए हुई, तो हम अपने किसान भाइयों की जमीन जबरन कब्जा करने की इजाजत किसी हाल में नहीं दे सकते. उन्होंने कहा कि मोदी ने मीडिया मालिकों से मिलकर मीडिया का गलत इस्तेमाल किया जिससे लोगों ने उन्हें सत्ता सौंप दी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
लालू ने कहा कि किसानों की जमीन छीनने की हर कोशिश के खिलाफ वह आवाज उठायेंगे. उन्होंने कहा कि जो सरकार तीन महीने में काला धन वापस लाने के नारे पर चुनी गयी उसने अब जनता को गुमराह किया. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा नियुक्तियों में दो साल के लिए लगायी रोक को युवाओं के खिलाफ बताया.
राजभवन मार्च के दौरान जिला प्रशासन ने चप्पे-चप्पे में सुरक्षा का इंजाम किया था.