लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अभी तेज हुई भी नहीं कि पूर्व मंत्री नागमणि के नाम एक और रिकार्ड आ गया. उन्होंने सत्ता धुन में अपने द्वारा ही रचे रिकार्ड मात्र 8 दिन में तोड़ कर नया कीर्तिमान बना दिया हैउनके इस रिकार्ड ने भले ही उनकी प्रसिद्धि बढ़ाई हो या नहीं लेकिन लोगों में उनके प्रति दिलचस्पी जरूर बढ़ गयी है.
विनायक विजेता
नागणणि ने मात्र 8 दिन पहले यानी 6 मार्च को अपने राजनीतिक जीवन में 12वी बार पार्टी बदल कर एक रिकार्ड कायम किया था. लोग अभी इस चर्चा में व्यस्त ही थे कि उन्होंने अपने नाम एक और रिकार्ड कायम कर दिया है.
इस बार उन्होंने सबसे तेज गति से पार्टी बदलने का रिकार्ड बनाते हुए मात्र 8 दिन में फिर से नयी पार्टी का दामन थाम लिया है.
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इसलिए इस बार चर्चा का विषय वह इसलिए बन गये हैं कि वह सबसे तेज गति से पार्टी बदलने का रिकार्ड भी अपन नाम कर चुके हैं.
क्या है किस्सा
बीते दो दशकों से बिहार और केंद्र की राजनीती करते हुए और अब तक बारह बार दलबदल कर दलबदलुओं के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बनाने वाले नागमणि ने शनिवार को तेरहवीं बार दलबदल कर अपना ही पूर्व का रिकॉर्ड तोड़ दिया.
रांकापा छोड़ 8 दिन पूर्व भाजपा का दमन थामने वाले नागमणि को जब भाजपा ने न तो उजियारपुर से टिकट दिया और ना ही झारखंड के चतरा से ,मनी और सत्ता के लिए किसी भी दरवाजे पर पहुंचने वाले नागमणि ने तेरहवीं बार पार्टी बतालते हुए अब झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी आजसू का दामन थाम लिया . इस शर्त पर की पार्टी उन्हें चतरा से टिकट देगी. अब देखना है की नागमणि यहाँ कितने दिनों टिकते हैं.
दलबदल के इतिहास में पूरे देश में नया रिकॉर्ड बनाने वाले नागमणि को इस रिकॉर्ड के लिए बधाई.
सत्ता जो न कराये
शरुआती दौर में शोषित समाज दल से राजनीति की शुरुआत करने वाले नागमणि 80 के दशक में कांगेस में शामिल हुए। नब्बे के दशक में वह जनता दल और बाद में लालू यादव की पार्टी राजद की सदस्यता ली। कुछ माह बाद वह राजद (डेमोक्रेटिक) के सदस्य बने। इसके बाद वह भाजपा में गए और 2004 में भाजपा के टिकट पर ही चतरा लोकसभा से चुनाव लड़ा पर वह चुनाव हार गए।
इसके बाद इन्होंने भाजपा छोड़ लोजपा का दामन थामा। पर यह यहां भी ज्यादा दिन नहीं टिके और नीतीश कुमार की उंगली पकड़ जदयू में शामिल हो गए। जिसके बदले नीतीश कुमार ने उनकी पत्नी को एमएलसी बनाते हुए मंत्री बना दिया। पर 2009 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने उजियारपुर सीट नागमणि को नहीं दी तो वह अपनी पत्नी सुचित्रा सिन्हा के साथ जदयू छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सुचित्रा सिन्हा को कुर्था से टिकट भी दिया जहां उनकी करारी हार हो गई। 2012 में नागमणि 11वीं बार दलबदल कर कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए जहां उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपी गई पर अति-महत्वाकांक्षी नागमणि यहां भी नहीं टिक सके और वह आज राकांपा छोड़कर एकबार फिर से भाजपा का दामन थाम कर 12वीं बार दल बदलने का एक नया रिकार्ड बना सकते हैं।