यह अपहरणकांड राजनीति भूचाल ला सकता है क्योंकि गुजरात के व्यवसाइयों ने बिहार के सत्ताधारी राजनेता का नाम नरेंद्र मोदी को बता दिया है जिनके आवास पर फिरौती की रकम दी गयी.
विनायक विजेता
यह रकम 25 करोड़ बतायी जा रही है.
गुजरात के सूरत के अरबपति व्यवसायी हनीफ हिंगोरा के 23 वर्षीय पुत्र सोहैल हनीफ हिंगोरा के अपहरण और अपृहत को छोड़ने के एवज में 25 करोड़ की भारी राशि फिरौती के रुप में वसुले जाने के मामले में एक राजनेता का नाम आने से एक बार बिहार फिर से कंलकित हो गया।
हालांकि अबतक हनीफ हिंगोरा ने उस राजनेता का नाम सार्वजनिक नहीं किया है पर उन्होंने सूरत में मीडिया को यह बयान देकर हलचल मचा दी है कि उक्त राजनेता बिहार के मुख्यमंत्री की पार्टी के हैं और मुख्यमंत्री के करीबी भी हैं।
बिहार पुलिस जहां इस मामले में फिरौती के रुप में नौ करोड़ की राशि वसूले जाने की बात कर रही है वहीं गुजरात पुलिस पच्चीस करोड़। सोहैल हिंगोरा ने भी रिहाई के बाद गुजरात पुलिस को जो बयान दिया है उसमें उसने बताया कि अपहर्ता आपस में अक्सर चुनाव की बात करते थे।
सोहैल हिंगोरा अपने पिता की कंपनी हिंगोरा इन्फ्रास्ट्रकचर लिमिटेड के निदेशक मंडल का सदस्य भी है जिस निदेशक मंडल मे सात अन्य सदस्य भी हैं। हनीफ भाई हिंगोरा की इसके अलावा और कई कंपनिया हैं। इन कंपनियों में दिल्ली में आदित्या बिल्डर एंड डेवलपर, चक्रित रियल स्टेट डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड एवं एम आर हैंडलूम प्राइवेट लिमिटेड, पश्चिम बंगाल में अविनाश मैनेजमेंट कलसन्टेंट प्राइवेट लिमिटेड एवं महाराष्ट में मंगल्या डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड कई और ब्रांच कंपनिया हैं।
सूरत में रिंग रोड स्थित अम्पायर स्टेट बिल्डिंग में कंपनी का प्रधान कार्यालय है। 14 फरवरी 2008 को रजिस्टर्ड हुए हनीफ हिंगोरा की कंपनियों का वार्षिक टर्नओवर अरबों रुपयों में है और उनकी कंपनी द्वारा निर्मित सुसज्जित मकानों और अपार्टमेंटों के फ्लैटों की सूरत और गुजरात में विशेष मांग है।
सूत्र बताते हैं कि सोहैल मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले गुजरात के व्यवसायियों ने मुख्यमंत्री को उस राजनेता का नाम बता दिया है जिनके पटना स्थित सरकारी आवास पर अपहर्ताओं को फिरौती की रकम दी गई। उक्त राजनेता का नाम सार्वजनिक होते ही पटना का राजनीतिक पारा एक बार फिर से तेज होने की संभावना है।
बहरहाल यह मामला बिहार पुलिस के लिए शर्मनाक तो है ही चुनौती भरा भी है। बिहार पुलिस को चाहिए कि वह इस मामले को चुनौती के रुप में लेकर इस मामले में शामिल सभी अपहर्ताओं को तो गिरफ्तार करे ही उस नेता का नाम भी सार्वजनिक करते हुए उसके उपर कानूनी शिकंजा कसे जिसने बिहार को एक बार फिर से कलंकित करने में अपनी अहम भूमिका निभायी है।