राजधानी दिल्ली सहित देशभर में 70वां गणतंत्र दिवस बहुत धूमधाम से मनाया गया और यहां राजपथ पर विराट सैन्य शक्ति, ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर और अनेकता में एकता की गौरवशाली परंपरा की भव्य झलक दिखायी दी जिसमें पहली बार आजाद हिन्द फौज (आईएनए) के पूर्व सैनिकों ने भी हिस्सा लिया।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे और प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लेने आये भारतवंशी नेताओं को भी इसके लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। समूची राजधानी में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किये गये थे और परेड स्थल, आस-पास की इमारतों की छतों पर शार्प शूटर तथा उनसे लगते क्षेत्रों में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे।
राष्ट्रपति ने सलामी मंच पर ध्वाजारोहण किया जिसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गयी और सेना के एम आई-17 हेलिकाॅप्टरों ने राजपथ पर पुष्प वर्षा की जिससे दर्शकों के हर्ष का ठिकाना नहीं रहा। राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सेना के लांस नायक नजीर अहमद वानी की पत्नी श्रीमती महजबीं को शांतिकाल का सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया। इस दौरान राजपथ पर माहौल भावुक हो गया।
थल सेना के दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफि्टनेंट जनरल तथा परेड कमांडर असित मिस्त्री और उनके बाद दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल तथा परेड के सेकेंड इन कमान राजपाल पूनिया ने राष्ट्रपति को सलामी दी। इसके बाद सेना के तीन परमवीर चक्र विजेता और पांच अशोक चक्र विजेता भी जीप में सवार होकर सलामी मंच के सामने से गुजरे। आजादी के बाद पहली बार आजाद हिन्द फौज के चार भूतपूर्व सैनिक भी परेड की शान बढाते नजर आये। इन पूर्व सैनिकों के नाम चंडीगढ के लालतीराम (98), गुरूग्राम के परमानंद (99), हीरा सिंह (97) और भागमल (95) हैं।