सीएम इन वेटिंग नीतीश कुमार का कुनबा राज्यपाल के खिलाफ हमलावर हो गया है। जदयू, राजद और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने एक साथ पत्रकार वार्ता कर केसरीनाथ त्रिपाठी पर निशाना साधा और कहा कि वह भाजपा के एजेंट हो गए हैं। राज्यपाल भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की भाषा बोल रहे हैं। केसरी और मोदी के बयान एक-दूसरे की बातों को पुष्ट करते हैं।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सचिव जीतेंद्र नाथ ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुशील मोदी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में नीतीश कुमार पर निशाना साधते हैं, लेकिन राज्यपाल की टिप्पणी पद की मर्यादा के विपरीत है। इन नेताओं ने कहा कि किसी राजनीतिक दल का सदस्य होने के नाते लोग आरोप लगाते हैं, लेकिन राज्यपाल होने के बाद कोई ऐसा कैसे कर सकता है? त्रिपाठी तो दूसरे प्रदेशों में भी जाकर बिहार के बारे में बयानबाजी कर रहे हैं।
वशिष्ट सिंह ने कहा कि सब कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर हो रहा है। भाजपा ने बिहार में वित्तीय और राजनीतिक अराजकता पैदा कर दी है। लोकतंत्र में पारदर्शिता और राजनीति में विश्वास का बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने पारदर्शिता और मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने विश्वास को मिटाने का रिकॉर्ड बना दिया है। कुर्सी की चाहत सबको होती है, लेकिन कुर्सी के लिए पार्टी को ही खत्म कर दिया जाए, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। श्री सिंह ने राज्यपाल से मुख्यमंत्री की घोषणाओं करने पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बिना कुछ सोचे-समझे सरकारी खजाने को खैरात की तरह लुटा रहे हैं। ऐसी-ऐसी घोषणा कर रहे हैं जिसको पूरा करने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये चाहिए। कहां से आएगा इतना धन? जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री हाल की घटनाओं से चंचल प्रवृति के हो गए हैं। चंचलता में आदमी कहां-कहां चला जाता है, उसे इसका कुछ पता ही नहीं चलता। श्री सिंह ने मुख्यमंत्री की राष्ट्रपति से होने वाली मुलाकात को लेकर सवाल उठाए हैं।