मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को राज्यपाल डीवाई पाटिल से मुलाकात की थी। उसके अगले दिन बुधवार को राजभवन ने विश्वविद्यालय में सहायक शिक्षकों की बहाली के लिए बनाए गए परिनियम को अपनी मंजूरी दे दी। जबकि आज गुरुवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की सकती है। राज्यपाल से मुख्यमंत्री की मुलाकात के कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे थे। इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़ कर देखा जा रहा था। लेकिन अब बताया जा रहा है कि यह मुलाकात शिक्षकों की नियुक्ति के परिनियम की मंजूरी पर ही केंद्रित रही होगी।
प्राप्त जानकारी के बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर रिक्त पड़े करीब साढ़े तीन हजार पद भरे जाएंगे। राज्यपाल डी वाई पाटील ने नियुक्ति परिनियम को बुधवार को मंजूरी दे दी। राज्यपाल के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि गुरुवार को अधिसूचना जारी होगी। परिनियम पर फैसला नहीं होने से नियुक्ति रुकी हुई थी। शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को 3447 शिक्षकों की नियुक्ति की अधियाचना पहले ही भेज दी है। आयोग की दलील थी कि परिनियम बनने के बाद ही वह नियुक्ति का विज्ञापन निकालेगा। साक्षात्कार और एकेडमिक कैरियर के आधार पर बीपीएससी अभ्यर्थियों का चयन करेगा।
100 अंकों पर चयन किया जाएगा। इसमें एकेडमिक कैरियर के लिए 85 निर्धारित किए गए हैं। जबकि, 15 अंक का साक्षात्कार होगा। शिक्षा विभाग ने तीन माह पहले राजभवन को परिनियम का प्रारूप भेजा था। इस पर राज्यपाल द्वारा बनाई गई कुलपतियों की कमेटी ने कुछ सुझाव दिए थे। फिर इस पर सभी कुलपतियों की राय ली गई। इसके बाद परिनियम पर अंतिम निर्णय लिया गया। अभ्यर्थियों की न्यूनतम योग्यता स्नाकोत्तर में 55 फीसदी अंक और नेट उत्तीर्ण रखा गया है। यूजीसी 2009 के रेगुलेशन के आधार पर जो पीएचडी/एमफील किए हों, उनके लिए नेट उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता नहीं रहेगी।विश्वविद्यालयों में 11 साल से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। आधे से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। पिछले पांच साल से नियुक्ति पर मंथन चल रहा है।