विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संविधान के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन की बात को नकारते हुये कहा कि संविधान के मौलिक अधिकार में बदलाव करने का अधिकार संसद को है और इसलिये हम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए 124वें संविधान संशोधन के जरिये बदलाव कर रहे हैं।
श्री प्रसाद ने राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक पर चल रही चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुये कहा कि इस संशोधन के बाद केन्द्र में ही नहीं बल्कि राज्यों को भी इसका लाभ देना होगा और इसके लिए तय मानकों में समय समय पर बदलाव करने का अधिकार राज्यों के पास होगा। उन्होंने इस विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुये कहा कि सभी राजनीतिक दल से इसका खुल कर समर्थन करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि इस संविधान संशोधन विधेयक में मौलिक अधिकार से जुड़े अनुच्छेद 15 में एक उपधारा और 16 में भी एक उपधारा जोड़ी गयी है। इसके संशोधन के बावजूद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और आर्थिक रूप से कमजारे वर्गों के लिए 10 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण होगा।
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श्री प्रसाद ने कहा कि इस संशोधन के माध्यम से मौलिक अधिकार में बदलाव किया जा रहा है इसलिये आरक्षण देने के लिए राज्यों से संपर्क करने की जरूरत नहीं है। कई सदस्यों द्वारा बार बार यह कहे जाने पर कि इसके जरिये संविधान की मूल ढांचा को बदला जा रहा है, इस पर कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।