केन्‍द्र ने राज्‍य वित्‍त आयोगों का आह्वान किया है कि वे राज्‍य सरकारों और स्‍थानीय इकाइयों के बीच संसाधनों के बंटवारे के दौरान व्‍यावहारिक वित्‍तीय विकेंद्रीकरण करें। यह आ‍ह्वान केन्‍द्रीय पंयायती राज्‍यमंत्री निहाल चंद ने की है। वे वित्‍तीय विकेंद्रीकरण पर आयोजित एक कार्यशाला के उद्घाटन के बाद बोल रहे थे। 

The Minister of State for Panchayati Raj, Shri Nihalchand lighting the lamp to inaugurate a National Workshop on Fiscal Decentralisation and the Role of State Finance Commissions, in New Delhi on January 18, 2016.

 

 

 

उन्‍होंने नई दिल्‍ली में बताया कि 14 वे वित्‍त आयोग के लिए वर्ष 2015 से 2020 तक के लिए ग्राम पंचायतों के लिए दो लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मंत्री ने कहा कि ग्रामीण बुनियादी ढांचा, सीवरेज, सफाई और पेयजल की आपूर्ति पर प्राथमिकता के स्‍तर पर जोर दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि वित्‍त आयोग ने राज्‍य और स्‍थानीय इकाइयों के बीच 2011 की जनसंख्‍या के आकड़ों के आधार पर 90  प्रतिशत और 10 प्रतिशत वेटेज देकर अनुदानों का वितरण करने की सिफारिश की है। देश भर में  2.6 लाख पंचायत हैं।  श्री चंद ने बताया कि आयोग ने पंचायतों और नगरपालिकाओं को दो भागों में अनुदान देने की सिफारिश की है। पहले भाग में गठित आधारभूत अनुदान और दूसरे भाग में प्रदर्शन पर आधरित अनुदान।

संविधान के 73 वें और 74 वें संशोधनों के जरिये पंचायतों और नगरपालिकोंओं को स्‍वशासन संस्‍थानों के रूप में काम करने के लिए सांवैधानिक हैसियत प्रदान किया गया है। संविधान ने राज्‍यों को कानून के जरिये संविधान की ग्‍यारहवें और बारहवें अनुसूची में दर्शाए नियमों के तहत इन्‍हें शहरी और ग्रामीण स्‍थानीय स्‍वशासन इकाई के रूप में काम करने का अधिकार प्रदान करता है। हालांकि राज्‍य अधिकांश कार्यों को तो इन संस्‍थानों को दे देते हैं लेकिन कोष और कर्मचरियों के हंस्‍तांतरण के मामले में स्थिति गंभीर है।

By Editor


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