केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्यों की राजधानियों में बने एनआईसी के स्टूयियों में बैठे पत्रकारों से संवाद कर रहे थे। शुरुआत पटना से ही हुई। वे दोहपर दो बजकर 6 मिनट में दिल्ली स्थित पीआइबी के स्टूडियो में आए और दो बजकर 8 मिनट पर पटना के पत्रकारों से संवाद कर रहे थे।
वीरेंद्र यादव
सवाल कृषि विकास से जुड़ा हुआ था। उसका संबंध भी बिहार से ही था। मंत्री ने कहा कि कृषि के समक्ष कई चुनौतियां हैं और सरकार उन चुनौतियों पर विजय भी पा रही है। बिहार के संदर्भ में चर्चा करते हुए राधा मोहन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के शुरुआती सात वर्षों में कृषि विकास के कई कार्य हुए। पांच बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू किया गया। बिहार की कृषि विकास दर भी बढ़ी थी। इस दौरान वे गुजरात से बिहार की तुलना करना भी नहीं भुले। जिन सात वर्षों की चर्चा राधामोहन सिंह कर रहे थे, उन दिनों भाजपा भी नीतीश सरकार में शामिल थी। यह अलग बात है कि कृषि विभाग जदयू के पास था।
केंद्र की उपलब्धियां गिनायीं
केंद्रीय कृषि श्री सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि किसानों को उत्पादों का लाभदायक कीमत दिलाने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना की शुरुआत की गयी है, लेकिन बिहार सरकार ने इस संबंध में अभी कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत बिहार की एक नदी को लिया गया है। इसके तहत मिशन मोड में काम हो रहा है। मंत्री ने कहा कि गोधन व मत्स्य संसाधन के विकास के लिए गोकुल मिशन शुरू किया गया है। केद्र सरकार ने दूसरी हरित क्रांति के लिए बिहार को केंद्र बनाया है। इसी कोशिश में पूसा को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। श्री सिंह ने राज्य सरकार पर पैसा खर्च नहीं करने का भी आरोप लगाया। श्री सिंह पटना स्टूडियो के साथ करीब 13 मिनट तक लाइव रहे और इसके बाद पीआईबी का लिंक नागपुर से हो गया।
(तस्वीर- पीआइबी दिल्ली के स्टूडियो में मंत्री राधामोहन सिंह व पटना एनआइसी के स्टूडियो में मौजूद पत्रकार )