अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि एक निजी कंपनी को सौदे में शामिल करके सरकार ने इसमें ‘कमीशनखोरी’ के लिए एक तंत्र बना दिया है।
उन्होंने कहा है कि सौदे के तहत विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 करने से देश की सुरक्षा के साथ भी समझौता किया गया है। तीनों ने एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इस सौदे में नियमों का तो उल्लंघन किया ही गया, वायु सेना की सलाह के बिना विमानों की संख्या कम कर उसके अधिकारों को भी छीना गया।
तीनों ने कहा कि सरकार ने 7-8 वर्षों तक चली बातचीत के बाद हुए समझौते को रद्द कर फ्रांस सरकार से सीधे 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया। श्री सिन्हा ने कहा, “ इस स्तर पर सौदे में निजी कंपनी को लाया गया है तो हम कह सकते हैं कि ‘कमीशनखोरी’का तंत्र बना दिया गया है और जैसे ही खेल शुरू होगा कमीशन आना शुरू हो जायेगा। श्री शौरी ने कहा कि सरकार गोपनीयता के पर्दे के पीछे छिप रही है क्योंकि उसे पता है कि इस मामले में श्री मोदी खुद घेरे में आ रहे हैं। यह साफ है कि यह सब प्रधानमंत्री को बचाने के लिए किया जा रहा है। श्री भूषण ने कहा कि राफेल खरीद मामले में श्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है और सभी नियमों का उल्लंघन किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड को इसकी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से भी वंचित रखा गया है।