भागलपुर सृजन घोटाले में एक आरोपी महेश मंडल की मौत के बाद विपक्ष ने सरकार को सदन से सोशल मीडिया में घेरा. एक ओर जहां विधान परिषद में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से इस्तीफा मांगा, तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी सरकार को घेरा. पूर्व उपमुख्यमंत्री व बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज भागलपुर सृजन घोटाले को मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से भी व्यापक बताया.
नौकरशाही डेस्क
तेजस्वी ने ट्विटर पर लिखा – ‘सृजन घोटाले में गिरफ़्तार जदयू नेता के पिता व आरोपी नाज़िर महेश मंडल की देर रात जेल में विषम परिस्थितियों मे मौत. नीतीश सरकार के सृजन घोटाले के मुख्य अभियुक्त और सबसे पहले गिरफ़्तार महेश मंडल की जेल में मौत. मरने वाला का बेटा जदयू का बड़ा नेता.
वहीं लालू प्रसाद ने ट्वीट कर कहा – ‘सृजन महाघोटाले में पहली मौत. 13 गिरफ़्तार, उनमें से एक की मौत. मरने वाला भागलपुर में नीतीश की पार्टी के एक बहुत अमीर नेता का पिता था. इससे पहले विधानमंडल के मानसून सत्र शुरू होते ही सृजन घोटाले को लेकर राजद सदस्यों ने विधान परिषद में सोमवार को जमकर हंगामा किया और वेल में आ गए. इस दौरान राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार और सुशील मोदी की इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि बिना उनके इस्तीफा दिए जांच कैसे हो सकती है. भागलपुर के साथ पूरे बिहार में घोटाला हुआ है. जो मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाला हुआ था. उसी तरह बिहार में भी घोटाला हुआ है. इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से करानी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि भागलपुर में हुए सृजन घोटाले के एक आरोपी महेश मंडल की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टर और जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि महेश मंडल की किडनी की बीमारी थी. महेश के भाई दिनेश मंडल ने कहा कि कई दिनों से उसकी डायलिसिस नहीं हो रही थी. बता दें कि व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश से जुड़ा प्रवेश एवं भर्ती घोटाला है जिस के पीछे कई नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यवसायियों की संलिप्पता सामने आई थी. व्यापम घोटाला समाने आने के बाद गठित जांच टीम ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था.
वहीं, घोटाले से जुड़े कई संदिग्धों की जांच के दौरान कथित तौर पर संदिग्ध परिस्थितियों में पर देश भर में हंगामा हुआ था. साल 2015 में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने घोटाले से जुड़े लोगों की मृत्यु को “अप्राकृतिक” मानते हुए 23 मृतकों की सूची उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की, जबकि कई मीडिया रिपोर्टस से इस मामले में मरने वालों की संख्या 50 से ज्यादा भी बताई गई.