नवादा में रामनवमी के अवसर पर उभरे साम्प्रदायिक तनाव के बीच अल्पसंख्यकों के साथ पुलिस के तांडव की कहानियां सामने आने लगी हैं. पिछले दिनों जमियतु उलेमा बिहार की टीम ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और उसे जो तथ्य मिले वह पुलिस प्रशासन के काले चेहरे को उजागर करते हैं.
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गौरतलब है कि रामनवमी के अवसर पर नवादा में दो समुदायों के बीच, कुछ असमाजिक तत्वों ने तनाव फैलाने की कोशिश की थी. इस दौरान अनेक दुकानों में लूट-पाट की गयी थी. इस घटना के बाद जमियतुल उलेमा बिहार की टीम ने गुरुवार को प्रभावित इलाके का दौरा किया. इस टीम का नेतृत्व मौलाना मोहम्मद नाजिम ने की.
टीम का कहना है कि नवादा के मुस्लिम बहुल बड़ी दरगाह इलाके में पुलिस ने जुल्म की हदें पार कर दीं. बड़ी दरगाह के नुरुद्दीन खान ने अपनी आंखों के सामने अपने परिवार को पुलिस द्वारा लुटते-पिटते देखा था. वह बताते हैं कि पुलिस वाले उनके घर की छत पर चढ़ गये.उनके घर के एक एक कमरे की अलमारियों, फर्निचर और शीशे के सामान को रौंद डाला गया.
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पुलिस जवानों ने न सिर्फ सामान तहस नहस किये बल्कि उनकी बहु के गले से सोने की चेन और अलमारी से पचास हजार रुपये भी लूट लिये. टीम के लोगों को अपने शरीर पर पिटाई के निशान दिखाते हुए बुजुर्ग नुरुद्दीन ने बताया कि पुलिस ने उन्हें लात-घूसे मारा. स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की यह गुंडागर्दी जिले के डीएम और एसपी की मौजूदगी में चलती रही.
इसी तरह की घटना अफरोज आलम के घर पर हुई. अफरोज बताते हैं कि नवादा की मोबाइल पुलिस अचानक उनके घर में घुस गयी. उनके एक एक कमरे को तहस नहस तो किया ही अफरोज और उनके परिवार के लोगों पर लात-घूसों की बौछार भी की. अफरोज ने टीम को बताया कि पुलिस ने मुस्लिम परिवारों में आतंक और खौफ बढ़ाने के लिए महिलाओं को भी नहीं बख्शा. यह घटना 16 अप्रैल की है.
इसी तरह की एक और घटना का उल्लेख करते हुए अली अशरफ ने अपनी मोटरसाइकिल दिखाई जो चूर-चूर होके पड़ी थी. उन्होंने बताया कि उनके घर में पुलिस ने घुसते ही गुंडागर्दी शुरू कर दी और उनके घर की वाशिंग मशीन, फ्रीज सब को ध्वस्त करके छोड़ दिया.
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस की यह गुंडई जिला के एसपी और डीएम की मौजूदगी में हुई. इन लोगों ने जिले के एसपी और डीएम के रवैये भारी छोभ व्यक्त किया है और कहा है कि जिस प्रशासन से सुरक्षा की उम्मीद की जाती है उसी ने तांडव मचाया.