हाई प्रोफाइल इफ्तार की कड़़ी में रविवार को लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की ओर से पार्टी का आयोजन किया गया । सुशील मोदी, जीतनराम मांझी और लालू यादव के बाद रविवार को रामविलास पासवान की ओर से आयोजित इफ्तार में एनडीए के सभी बड़े नेता मौजूद थे।
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख
बिहार एनडीए में देखे तो यहां गठबंधन के सबसे बड़े नेता रामविलास पासवान ही है। बिहार की राजनीति में आज की तारीख में सबसे सक्रिय सीनियर नेता वही हैं। वह पहली बार 1969 में विधायक बने थे और 1977 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। उनके यहां आयोजित पार्टी में रालोसपा के नेता और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, भाजपा विधायक दल के नेता सुशील कुमार मोदी, नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, भाजपा सांसद रामकृपाल यादव, लोजपा सांसद महबूब अली कैसर, भाजपा के पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन और पत्रकार से नेता बने दिनेश कुमार सिंह भी मौजूद थे। अभी वह लोजपा में सक्रिय हैं।
एनडीए 10 वर्षों बाद सत्ता में आया है और रामविलास पासवान पांच वर्षों के वनवास के बाद हरियाली का अनुभव कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पटना में उनका यह पहला सार्वजनिक आयोजन था। बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। स्वागत की तैयारी भी व्यापक थी। लेकिन सत्ता का स्वाद सबके चेहरे पर नजर आ रहा है। रामविलास पासवान, उनके पुत्र चिराग पासवान व भाई रामचंद्र पासवान अतिथियों के स्वागत में जुटे थे। रामविलास घूम-घूम कर स्थिति का जायजा भी ले रहे थे।
लालू यादव की इफ्तार में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी मौजूद थे तो रामविलास के यहां विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह मौजूद थे। यह इस बात का प्रमाण था कि विधानमंडल का समीकरण दो खेमों में बंटा हुआ है। और इन पदों पर बैठे लोगों की प्रतिबद्धता पार्टी से बंधी हुई है। इफ्तार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी का माहौल भी था। कई लोग पार्टी टिकट के उम्मीदवार भी थे। लोजपा के साथ भाजपा और रालोसपा के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में मौजद थे। वजह साफ है कि दोनों पार्टियों के बिहार के शीर्ष नेता मौजूद थे।
राजद, जदयू व कांग्रेस गठबंधन यहां भी हावी रहा। मीडिया के लिए सबसे बड़ा सवाल यही था कि लालू गठबंधन को लेकर एनडीए क्या सोचता है। भाजपा के सुशील मोदी, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा के चिराग पासवान ने एक स्वर से कहा कि यह पराजय की आशंका से भयभीत लोगों का गठबंधन है। राजनीतिक विश्वास खो चुकी पार्टियों का समझौता है। इस गठबंधन का सीधा लाभ एनडीए को होगा। इन नेताओं का आरोप था कि वोट शिफ्टिंग की ताकत किसी के पास नहीं है। इन नेताओं के लिए अपने आधार वोट को बचाए रखने की चुनौती ही गंभीर है।
यह निर्विवाद है कि बिहार में एनडीए एक बड़ी ताकत बनकर उभरी है। इसका गुमान एनडीए नेताओं को होना स्वाभाविक है। इफ्तार पार्टी में शामिल नेता यह भरोसा दिलाने का पूरा प्रयास कर रहे थे कि आगामी चुनाव के लिए हम एकजुट हैं। और रामविलास पासवान भी यह यह बताने में सफल साबित हुए कि बिहार एनडीए में बड़ी पार्टी भाजपा भले हो, लेकिन एनडीए के बड़े नेता वही हैं।
( तसवीर फोटो जर्नलिस्ट सोनू किशन के सौजन्य से )