तीर्थराज प्रयाग में गंगा,यमुना व अदृश्य सरस्वती के तट पर सामाजिक सौहार्द की भी धारा बह रही है। उसमें गोता लगा रहे हैं कई मुस्लिम परिवार। रामनाम बैंक में भदोही निवासी रहीम ने खाता खुलवाया है। वह पत्नी शैलनाज के साथ पूरी श्रद्धा से श्रीराम का नाम लिख रहे हैं।
दीपक कुमार, इलाहाबाद से
सौन्दर्य प्रसाधन का सामान बेचने वाले रहीम समय निकालकर माघ मास में संगम तट पर त्रिवेणी मार्ग स्थित साकेतधाम आश्रम बड़ा भक्तमाल में रुक कर कल्पवास भी करते हैं।
यहां आते समय रामनाम पुस्तिका लेकर आते हैं। ऐसा करने वाले रहीम अकेले नहीं हैं,बल्कि 35 मुस्लिम शामिल हैं। रामनाम बैंक में मेला क्षेत्र में हजारों दुकानदार एवं कल्पवासी भी खाताधारक हैं।
श्रीराम से बड़ा राम का नाम अनादिकाल से रामभक्तों की श्रद्धा,आस्था,विश्वास का यही मूलमंत्र रहा है। इसे नया रूप देने के लिए साकेतधाम आश्रम अयोध्या में सन 1980 से ‘ राम नाम ‘ लिखने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसे दिया विस्तार सन 2001 में पीठाधीश्वर जगद्गुरु बीनैका बाबा ने ‘राम नाम बैंक’ बना कर। उन्होंने माघ मेला क्षेत्र में भी श्रद्धालुओं से राम नाम लिखवाना शुरू किया।
रहीम कहते हैं कि श्रीराम नाम लिखने से जो सुख,शांति और समृद्धि की प्राप्ति हुई है,वह अद्भुत है। यही कारण है कि मैं और मेरी पत्नी पूरी श्रद्धा से श्रीराम का नाम लिखते हैं। चित्रकूट से आए मोहम्मद हारुन कहते हैं कि श्रीराम का आदर्श हर व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है,इसलिए वह उनका नाम लिखते हैं।
कुछ ऐसे ही मत चित्रकूट के कर्बी निवासी असलम खान का है। कहते हैं बिनैका बाबा के सानिध्य में वह पांच साल से श्रीराम का नाम लिख रहे हैं।
राम नाम बैंक जाति-धर्म से परे सामाजिक सौहार्द कायम करने का सशक्त माध्यम बन चुका है। यही कारण है कि मुस्लिम भी पूरी श्रद्धा के से इसमें खाता खुलवाकर राम का नाम लिख रहे हैं। इसके संस्थापक जगद्गुरु बिनैका बाबा हैं.