निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति चुनाव में मतदाताओं को अपनी मर्जी से वोट देने या नहीं देने का अधिकार है और राजनीतिक दल किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकते। आयोग ने आज स्पष्टीकरण जारी करके कहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक मतदाता को किसी भी उम्मीदवार को वोट देने या चुनाव में मतदान न करने या अपनी इच्छा एवं पसंद के अनुसार मत देने की स्वतंत्रता है।
आयोग के अनुसार, राजनीतिक दल अपने सदस्यों को किसी विशेष तरीके से मतदान करने या न करने के लिए कोई दिशानिर्देश या व्हिप जारी नहीं कर सकते। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 171सी के तहत अनुचित प्रभाव डालने के अपराध के समान होगा। आयोग ने स्पष्ट किया है कि पार्टी लाइन से हटकर वोट डालने वाले मतदाता के खिलाफ दल-बदल कानून नहीं लगेगा। ऐसे मतदाताओं को इस कानून के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।