मुजफ्फरनगर दंगापीड़ितों से आईएसआई के सम्पर्क करने संबंधी राहुल के बयान पर देश के कई नौकरशाह भौचक रह गये हैं.
रहालु ने इंदौर की सभा में कहा था कि उन्हें ‘खुफिया विभाग के अधिकारियों’ ने बताया है कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ित परिवारों से संपर्क कर उन्हें वरगला की कोशिश कर रही है.
राहुल के इस बयान के बाद अमर उजाला ने आईबी के पर्व प्रमुख अजीत कुमार के हवाले से लिखा है कि “देश के संभावित पीएम को राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर समझदारी दिखानी चाहिए.आईएसआई एक विदेशी एजेंसी है, जो देश को नुकसान पहुंचाने के लिए ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बढ़ा रही है.”
अजीत कुमार ने कहा, “राहुल की प्रतिक्रिया ज्यादा सधी और निर्णायक होनी चाहिए थी. उन्हें खुफिया विभाग के अधिकारियों को उन नौजवानों के पास जाने के लिए कहना चाहिए था, जिनसे आईएसआई ने संपर्क साधा है. इन पाकिस्तानी एजेंट के लिए जाल बिछाकर इन्हें खत्म किया जना चाहिए.”
वहीं एक पूर्व गृह सचिव ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर इस बात से सहमति जताई कि राहुल का इस बारे में सार्वजनिक बयान देने से राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हुआ है. यह कुछ और नहीं, उनकी अपरिपक्वता दिखाता है.
खुफिया विभाग में कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि जिस आईबी अधिकारी ने राहुल को यह जानकारी दी, गलती उसकी भी है, क्योंकि वह केवल सरकारी अधिकारियों तक यह जानकारी पहुंचा सकता था.