मांझी सरकार के रिपोर्ट कार्ड पर भाजपा नेताओं ने सवालों की बौछार से घेरने की कोशिश की लेकिन वह खुद ही पत्रकारों के सवालों में उलझ के टाल गयी, हालांकि भाजपा ने अपने आरोप पत्र में कई मौजू सवाल भी पूछा है.
भाजपा नेता सुशील कुमार मोद, नंदकिशोर यादव और पार्टी के प्रदेश अद्यक्ष मंगल पांडेय अपने लाव लशकर के साथ सरकार के रिपोर्ट कार्ड के खिलाफ अपना आरोप पत्र जारी किया है. 64 पेज के इस आरोप पत्र में भाजपा ने मांझी सरकार के एक साल के विकास और कानून व्वस्था के तमाम सवालों पर घेरा है. लेकिन कई ऐसे सवाल जिनकी जद में भाजपा के नेता आ गये, उन्हें टालते रहे लेकिन पत्रकारों ने इस पर अनेक सवाल दाग
बजट का चवन्नी उपोयग
विधान सभा में विपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने मांझी सरकार पर हल्ला बोलते हुए पूछा कि अगर सरकार विकास कर रही है तो अक्टूबर महीने तक बजट में आवंटित राशि का मात्र 25 प्रतिशत ही खर्च पाई है. नंद किशोर ने एक एक विभाग का नाम लिया और कहा कि राज्य सरकार पिछले सात-आठ महीने में अभी तक मात्र चवन्नी यानी 25 प्रतिशत ही खर्च कर सकी. उन्होंने कहा कि यह सरकार की सरासर नाकामी है. इस मुद्दे पर सवाल किया गया कि वित्त मंत्री के रूप में सुशील कुमार मोदी लगातार सात वर्ष तक रहे लेकिन क्या उनके रहते राज्य सरकार कभी भी7-8 महीने में 25 प्रतिशत से ज्यादा बजट राशि का उपयोग कर सकी?
जब यह सवाल सुशील मोदी से पूछा गया तो उन्होंने इसे टालते हुए कहा कि वह इस विषय में अलग से प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और जवाब देंगे. दर असल मोदी ने इस सवाल को यूं ही नहीं टाला. क्योंकि अक्टूबर-नवम्बर माह तक सुशील मोदी के कार्यकाल में भी सरकार ने इससे ज्यादा राशि का उपयोग कभी नहीं किया.
विशेष दर्जा मामले को भी टाला
मांझी सरकार लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है. इस बाबत एक पत्रकार ने मोदी से पूछा कि नीतीश कुमार गांव-गांव घूम कर बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने बिहार को विशेष राज्य या स्पेशल एटेंशन देने का वादा किया लेकिन छह महीने के बाद भी बिहार से किया वादा पूरा नहीं किया गया? इस सवाल को भी सुशील मोदी बड़ी चालाकी से टालते हुए बोले कि जो लोग चार साल से सरकार चला रहे हैं वह क्यों भाजपा के वादे पर सवाल कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि पहले नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी अपने वादों का जवाब दें.
ऐसे ही अनेक सवालों का जवाब देने के बजाये भाजपा नेताओं ने उन्हें टाल दिया.
हालांकि मांझी सरकार के रिपोर्ट कार्ड के जवाब में भाजपा ने 64 पेज को जो आरोप पत्र जारी किया है उसमें दर्जनों ऐसे सवाल हैं जो वाजिब हैं लेकिन उस पर मांझी सरकार ने बचने की कोशिश की है. इन सवालों में मांझी सरकार द्वारा किये गये ऐसे कई वादे हैं जिनकी मांझी ने पिछले दिनों यह घोषणा की. इनमें एससी एसटी की छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा में फीस माफ कर देने की बात शामिल है. इस मामले में सुशील मोदी ने सवाल किया कि यह कम तो सरकार पहले से ही करती आ रही है. उन्होंने कहा कि शिक्षण शुल्क के तौर पर दलित छात्राओं से लिये गये पैसे सरकार रिइम्बर्स कर देती है. मोदी ने सवाल किया कि मांझी सरकार यह बात स्पष्ट करे कि उच्च शिक्षा में प्रोफोशनल कोर्सेज की फीस सरकार खुद वहन करेगी?
इसी तरह मोदी ने सरकार की नाकामी को उजागर करते हुए पूछा है कि सरकार ने अभी तक किसानों से एक छटाक गेहूं की खरीददारी नहीं की. इसकी क्या वजह है?
इसी तरह मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्त बीमा योजना की घोषणा सरकार ने की लेकिन यह योजना अभी तक शुरू क्यों नहीं हुई?
अपने आरोप पत्र में नंद किशोर यादव ने आरोप लगाया है कि नौकरशाहों की मिलीभगत से यह सरकार ट्रांस्फर पोस्टिंग को धंधा बना दिया है और मंत्री व तमम नेता इसके द्वारा कमाई कर रहे हैं.
अब देखना है कि भाजपा के इन आरोपों को मांझी सरकार कैसे जवाब देती है.