वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने रुपयाबंदी मामले में मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि उनके तालिबानी कदम से देश का व्यापार ठहर गया है और इस बड़े फैसले के पहले सरकार ने पूरी तैयारी नहीं की.
उन्होंने कहा कि फैसले से देश में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है। तीन-चार दिन के तजुर्बे से स्पष्ट हो गया है कि बगैर पर्याप्त तैयारी के इतना बड़ा कदम उठाया गया है। दूसरी ओर इस निर्णय का मकसद कालाधन और आतंक वादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले जाली नोटों को समाप्त करना बताया गया है।लेकिन इन दोनो में से किसी मकसद को हासिल करना मुमकिन नहीं दिख रहा है।
अपने बयान में श्री तिवारी ने कहा कि विमुद्रीकरण से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए की गई व्यवस्था का आलम यह है कि एटीएम और बैंकों में पर्याप्त नकदी नहीं है जिससे कतार में खड़े सभी लोगोंका भुगतान हो सके। हालत तो यह है कि दो हजार रूपए का नया नोट एटीएम में अँट नहीं रहा है। एटीएम का साँचा बदलने तक की तैयारी नहीं की गई ।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी नोटों में 86 फीसद नोट पाँच सौ और हजार के हैं। यानी काला धन खत्म करने के नाम पर चौदह लाखअठारह हजार करोड़ रूपए मूल्य का नोट रद्द कर दिया गया है। जबकि इस देश में अनेकों रास्ते हैं जिसके जरिए अपने मकसद के लिए रूपया हासिल करने वाले गलत लोगों को विशेष परेशानी नहीं होगी।बल्कि एक हजार के एवज में दो हजार का नया नोट लाकर सरकार ऐसे लोगों का रास्ता और आसान बना रही है।सरकारके इस तालिबानी क़दम से देश का नकदी व्यापार तो बिल्कुल ठहर गया है।
श्री तिवारी ने कहा कि आपाधापी में उठाए गए सरकारके इस कदम की ईमानदारी पर उँगली उठ रही है।खबर है कि बंगाल में भाजपा ने नोटबंदी की घोषणा के तुरंत पहले अपने खाता में तीन करोड़ रूपए जमा करवाए।प्रधानमंत्री जी की घोषणा वाले दिन एक करोड़ रूपए जमा करवाए गये।देश के विभिन्न बैंकों में पिछले छ महीने मेंऔसत से कहीं ज्यादा रूपए जमा कराए गए हैं।अगर इसख़बर में रत्ती भर भी सच्चाई है तो देश के लिए यह अशुभ संकेतहै।