नोटबंदी पर मोदी सरकार और भाजपा अध्यक्ष द्वारा गोपनीयता के दावे की सोशल मीडिया पर एक अखबार की खबर से बखिया उधड गयी है. लोग इसे सोशल मीडिया पर शेयर करके केंद्र सरकार और काला धन वालों की मिलीभग बता रहे हैं.
सरकार, आरबीआई और वित्त मंत्रालय के साथ साथ भाजपा अध्यक्ष अमितशाह बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि नोटबंदी का फैसला इतना गोपनीय था कि इसकी खबर किसी को नहीं लगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली दावा कर रहे हैं कि ऐसे फैसले गोपनीयता के साथ ही लिये जाते हैं ताकि लोगों को अपने काले धन को सफेद बनाने का वक्त तक न मिले. लेकिन सच्चाई यह है कि दैनिक जागरण ने इस खबर को नोटबंदी के फैसले के दस दिन पहले ही कानपुर डेटलाइन से यह एक्सक्लुसिव खबर छाप दी थी. बृजेश दुबे ने अपनी खबर में 27 अक्टूबर को ही लिख दिया था कि रिजर्व बैंक 2000 रुपये के हाई सेक्युरिटी के नोट ला सकता है और हजार व पांच सौ रुपये के मौजूदा नोट का चलन बंद किया जा सकता है. दुबे ने अपने विश्वस्त सूत्रों के हवाले से यहां तक उद्घाटित कर दिया था कि सरकार यह कदम इसलिए उठाने जा रही है क्योंकि 2016 में आय घोषणा की योजना उसकी उम्मीदों के अनुकूल नहीं हुई है.
दैनिक जागरण की इस खबर की कटिंग को लोग सोशल मीडिया पर खूब शेयर कर रहे हैं. कांग्रेस के मंजीत आनंद साहू ने भी इस खबर को शेयर किया है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या करोड़ में है ऐसे में काला धन रखने वाले हजारों लोगों को इस खबर के ब्रेक होने का लाभ मिला होगा. अनुमान जताया जा रहा है कि अरबों रुपये के काले धन को इस खबर के प्रकाशन के बाद सफेद बना लिया गया होगा. ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का दावा झूठा साबित हुआ है कि नोटबंदी का फैसला अतिगोपनीय था. अब सवाल यह भी है कि सरकार और आरबीआई के अंदर मौजूद जिन लोगों ने इस खबर को सार्वजनिक करने में मदद की उसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलेगा क्या ?