मांझी की स्वाभिमान रैली की तुलना खुद उनके दावे से कीजिए तो वह बढ़बोले साबित हुए लेकिन भाजपा के कार्यकर्ता समागम या इसी जगह मायावती की किसी रैली से करें तो मांझी के लिए संतोष करने की वजह बन जाती है.
इर्शादुल हक
पटना के विशाल गांधी मैदान के मंच पर ढ़ाई सौ नेता और सामने 25 हजार के करीब भीड़ के मार्फत मांझी ने दलित राजनीति को दिशा देने की कोशिश की है. भले ही पांच लाख की भीड़ जुटाने में मांझी बुरी तरह नाकाम रहे लेकिन बिना सांगठनिक ढ़ांचे के एक संगठन के लिए यह अचीवमेंट तो है ही, ये तब, जब मांझी के कुछ सहयोगी अभी से भाजपा में जगह तलाशने में जुटे हों.
मांझी ने अपने एक घंटा लम्बा भाषण में कुछ भी वैसा नहीं कहा जो नया हो. उनके दर्जनों सहयोगियों ने भी वही कहा जो वह पिछले कई महीनों से कहते रहे हैं. हां जरा मांझी नीतीश पर जोरदार आक्रमक रहे. कहा कि नीतीश सरकार बेईमान है और भ्रष्ट है. जो गरीबों को मकान बनाने के लिए 20 हजार रुपये से बढ़ा कर 2 लाख देने के उनके फैसले को तो पलट देती है लेकिन निर्माण कार्यो में लागत से 20 गुना ज्यादा खर्च करके रिश्वत की उगाही करती है. लेकिन दंग करने वाली बात यह रही कि न तो मांझी ने और न ही उनके किसी सहयोगी- नरेंद्र सिंह, वृशिण पटेल, नीतीश मिश्रा किसी ने भी भाजपा पर प्रहार करना तो दूर, एक शब्द तक नहीं कहा. हां लेकिन मांझी ने इतना जरूर कहा कि वह भाजपा से प्रीपोल एलायंस नहीं करने वाले.
दलित सियसत का स्पेस
पोस्ट पोल एलायंस पर सोचेंगे. उन्होंने कहा किसी से भी गठजोड़ चुनाव बाद कर सकते हैं. लेकिन सवाल यह उठता है कि भाजपा कि नीतियों पर मांझी की खामोशी क्यों. मांझी की इस खामोशी के मायने निकाले जायेंगे. इसमें सबसे आगे जद यू परिवार होगा जिसकी कोशिश होगी कि मांझी को भाजपा की गोद में ढ़केल के यह साबित कर दे कि वह भाजपा की वोटकटवा है. यह जनता परिवार की रणनीति होगी लेकिन उसकी इस रणनीति का अगर मांझी जवाब नहीं दे पाये और खामोश रह गये, जैसा कि वह कर रहे हैं तो समझिये कि मांझी की नैया मुश्किलों में होगी.
मैसेज
गरीब स्वाभिमान रैली के मैसेज को इग्नोर भी नहीं किया जा सकता. दलित नेतृत्व वाले रामविलास पार्टी को छोड़ दें तो मांझी ने जो 25 हजार के करीब भीड़ इक्ट्ठी की उससे इतना कहने में गुरेज नहीं कि उन्होंने दलित राजनीति में एक स्पेस तलाशी है.
ऐसे में मांझी के उभार का नुकसान जद यू परिवार को जितना होगा, उतना ही भाजपा की सहयोगी रामविलास की पार्टी लोजपा को भी होगा, यह तो कहा ही जा सकता है. हालांकि आने वाले दिनों में इक्वेशन और भी बनेंगे.
इस रैली की एक खास बात यह रही कि इसमें उत्तर पूर्व, दिल्ली और पश्चिम बंगाल से कई नेता शरीक हुए. इसमें दिल्ली के दलित नेता अशोक भारती की महत्वपूर्ण भूमिका रही. मांझी ने भाषण के दौरान अशोक भारती की टीम को अपने पास बुलाया और भीड़ से आशीर्वाद लेने को कहा. यह कह कर मांझी ने यह जताने कि कोशिश की वह अब राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भी खुद को तैयार कर रहे हैं.
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