पटना,-युवाओं में हेडफ़ोन के प्रति बढ़ रहा आकर्षण घातक सिद्ध हो सकता है। इससे बहरेपन का शिकार हुआ जा सकता है। इन दिनों प्रायः हीं छात्र–छात्राओं को कान में हेड–फ़ोन लगाए देखा जा सकता है। यह प्रवृति उनकों बहरा बना सकती है।
यह बातें आज यहाँ, भारतीय पुनर्वास परिषद के सौजन्य से बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च में आयोजित ५ दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन के दिन अपना वैज्ञानिक–पत्र प्रस्तुत करते हुए, वरिष्ठ औडियोलौजिस्ट डा विकास कुमार सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि श्रवण विकलांग बच्चों की शिक्षा के संबंध में, उनके साथ संचार बनाने के लिए अनेक आधुनिक उपकरण और पद्धतियाँ विकसित हुई हैं, जिससे अनेक विकल्प खुले हैं। नयी तकनीक से अब बहरे भी सुन सकेंगे। गूँगे बोलने लगेंगे।
“श्रवण बाधित बच्चों के अध्यापन के लिए संप्रेषण के विकल्प” विषय पर आयोजित पाँच दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल संचालन पर बधाई देते हुए, समापन समारोह के मुख्य अतिथि पटना उच्च न्यायालय के अवकाश–प्राप्त न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, मनुष्य की जब कोई भी ज्ञानेंद्री नही कार्य करती तो व्यक्ति असहज हो जाता है। किंतु ईश्वर उसे दूसरे रूप में शक्ति देते हैं तथा ऐसे लोग किसी अन्य क्षेत्र में अधिक शक्ति–शाली सिद्ध होते हैं।
समारोह की ध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक–प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि, विशेष सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यशाला का लाभ तभी है, जब हम सकारात्मक सोंच के साथ प्रशिक्षण पूरा करें और उसका उपयोग समाज के हित में करें। उन्होंने कहा कि, स्वयं को नियमित रूप से शिक्षित करनेवाले शिक्षक हीं विद्यार्थियों को सही शिक्षा दे सकता है। इसलिए शिक्षकों एवं अन्य पुनर्वास कर्मियों को भी अपनी शिक्षा को निरंतर अद्यतन करते रहना चाहिए। भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा नियमित अंतराल पर इस ‘सतत पुनर्वास शिक्षण‘ कार्यक्रम के संचालन का उद्देश्य यही है कि, विकलांगता के क्षेत्र में कार्य कर रहे सभी पुनर्वास–कर्मी और विशेष शिक्षक, इस तकनीक में तेज़ी से हो रही वैज्ञानिक उन्नति से अवगत होते रहें, ताकि वैज्ञानिक–उपलब्धियों का लाभ समाज को अविलंब प्राप्त हो।
अतिथियों का स्वागत संस्थान के विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिलमुनि दूबे ने तथा धन्यवाद–ज्ञापन विशेष विद्यालय की प्राचार्या कुमारी सरिता ने किया। इस अवसर पर संस्थान के प्रशासी अधिकारी सूबेदार मेजर एस के झा , प्रो रणजीत कुमार, प्रो प्रेम लाल राय, रजनी कांति, अरुण कुमार, तथा रजनी सिन्हा ने ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समेत बड़ी संख्या में संस्थान के शिक्षक, प्रतिभागी और छात्रगण उपस्थित थे।