पटना के सिटी एसपी शिवदीप लांडे की एक विभागीय कार्वाई के मीडिया में आ जाने से कई जूनियर अफसरों का मनोबल टूटा है. अनेक जूनियर अफसरोंने नौकरशाही डॉट इन को अपनी व्यथा बतायी है.
नौकरशाही डेस्क
पिछले दिनों सिटी एसपी ने पटना के अनेक डीएसपी और सभी ता थनेदारों को क्राइम मीटिंग के लिए बुलाया था. इसमें एक डीएसपी समेत 11 थानेदार पांच-दस मिनट देर से पहुंचे तो उन्हें गेट से अंदर दाखिल नहीं होने दिया गया. मीटिंग हॉल के बाहर मौजूद एक कर्मी को श्री लांडे ने यह हिदायत दे रखी थी कि समय पर नहीं आने वाले किसी भी पुलिस अफसर को दाखिल नहीं होने दिया जाये. इतना ही नहीं सिटी एसपी ने उन सभी अफसरों से स्पष्टीकरण भी मांगा.
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सिटी एसपी की यह कार्रवाई नितांत विभागीय कार्रवाई है और ऐसा करने का उन्हें अधिकार भी है. जूनियर अफसरों में समय की पाबंदी और डिसिप्लिन बनाये रखने के लिए ऐसी कार्रवाई को अनिवार्य भी माना जाता है. लेकिन अनेक जूनियर पुलिस अफसरों को इस बात पर ऐतराज है कि विभागीय कार्रवाई को सार्वजनिक करने से उनका मनोबल टूटा है. अनेक जूनियर अफसरों ने नौकरशाही डॉट इन से हुई बातचीत में अपनी मनोदशा उजागर की है. हालांकि इन अफसरों ने यह बात तब कही जब उन्हें विश्वास दिलाया गया कि उनके नाम उजागर नहीं किये जायेंगे.
एक पुलिस अफसर ने कहा कि ‘समय की पाबंदी करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है लेकिन यह तो विभाग का आंतरिक मामला है, मीडिया में इन नामों को सार्वजनिक करने से निश्चित तौर पर हमारे मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है’.
हालांकि एक अफसर ने कहा कि अगर हमने डिसिप्लीन बनाये रखने में कोताही बरती तो हमें फटकार लगनी ही चाहिए क्योंकि पुलिस बल से हर आदमी यह उम्मीद करता है कि वह उचित समय पर अपना काम करे.
गौर तलब है कि पिछले दिनों आयोजित हुई क्राइम में देर से आने वाले अफसरों के नाम, पदनाम और संबंधित तानों के नाम गुरुवार को एक अखबार में छपा था.
हालांकि देर से आने वालों अफसरों के नाम सार्वजनिक करने को लेकर सिटी एसपी शिवदीप लांडे का अपना पक्ष है. उन्होंने नौकरशाही डॉट इन से कहा- ‘डिसिप्लीन पुलिस डिपार्टमेंट की अनिवार्य शर्त है. पब्लिक सर्वेटं होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम पारदर्शिता बरतें’. उन्होंने कहा कि ‘समय पर नहीं पहुंचने वाले अफसरों के नाम इसलिए सार्वजनिक किये गये ताकि जिले के अन्य सत्तर ता थानेदारों को इससे मैसेज मिले’.