सूबे में ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जो स्पॉट पर गए बगैर घर में बैठकर आइओ के इशारे पर मौका-ए-वारदात की जांच रिपोर्ट दे देते हैं। विभिन्न जिलों में पदस्थापित पुलिस उपाधीक्षक संवर्ग के ऐसे कई अधिकारियों पर गाज गिरने वाली है।
पटना से दैनिक जागरण के संवाददाता चन्द्रशेखर डीजीपी अभयानंद के परफार्मेस टेस्ट में 31 आरक्षी उपाधीक्षक (डीएसपी) मापदंड में खरे नहीं उतरे हैं। इन पर शीघ्र विभागीय कार्रवाई किए जाने की संभावना है। गृह विभाग को रिपोर्ट भेज दी गई है।
पर्यवेक्षण के नाम पर दोहन
एक वरिष्ठ आइपीएस ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुलिस मुख्यालय अब ऐसे अधिकारियों को बख्शने के मूड में नहीं है जो जांच के नाम पर लोगों से दोहन करते हैं। डीएसपी होने के बावजूद उन्हें अपनी जिम्मेदारी का ज्ञान नहीं है। उनकी टूर डायरी व थानों की स्टेशन डायरी से पता चलता है कि बगैर स्पॉट वेरिफिकेशन के ही पर्यवेक्षण रिपोर्ट दे दी जाती है.
टूर डायरी से मेल नहीं खा रही रिपोर्ट और स्टेशन डायरी जांच रिपोर्ट की समीक्षा की जा रही है।
पुलिस मुख्यालय को ऐसे कई अधिकारियों के बारे में सूचना मिली थी। मुख्यालय की ओर से 14 वरिष्ठ आइपीएस को चार दर्जन से अधिक भ्रष्ट और गैरजिम्मेदार आरक्षी उपाधीक्षकों के क्रियाकलापों की जांच करने को कहा गया था। जांच अधिकारियों में एडीजी से लेकर डीआइजी स्तर के पदाधिकारी थे। 31 डीएसपी के विभागीय कार्यो को मुख्यालय से निर्धारित मापदंड पर खरा नहीं पाया गया। जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी है। 1 थाने पहुंचते ही स्टेशन डायरी में करनी है इंट्री : सीआरपीसी 36 के मुताबिक हर बड़े पुलिस अधिकारियों को अपने अधीनस्थ थाने में पहुंचते ही स्टेशन डायरी में इंट्री करनी होती है। अधिकांश डीएसपी ऐसा नहीं करते।
मासिक टूर डायरी
हर पुलिस उपाधीक्षक को अपनी टूर डायरी देनी होती है। इस डायरी में पूरे माह के दौरान पर्यवेक्षण के लिए मिलने वाले लोगों के बारे में जानकारी देनी होती है। कब ,कहां, किससे मुलाकात की गई, ब्योरा देना होता है। घर बैठे पर्यवेक्षण रिपार्ट देने वाले अधिकारी इसे सही तरीके से नहीं भरते हैं। जबकि स्टेशन डायरी, टूर डायरी व मामलों की पर्यवेक्षण रिपोर्ट, तीनों में तालमेल होना आवश्यक है.
इधर इस मामले में पुलिस महानिदेशक अभ्यानंद ने कहा है कि पहली बार जिले में भेजे गए ‘डायरेक्ट’ डीएसपी के साथ ही सभी डीएसपी को बता दिया गया था कि उनके कार्यो की समीक्षा कराई जाएगी। यह भी बताया गया था कि घटनास्थल का स्वयं निरीक्षण करने के बाद ही पर्यवेक्षण टिप्पणी निर्गत करेंगे। घर या कार्यालय में बैठकर ‘यस नोट’ नहीं निकालने की हिदायत दी गई थी। लेकिन कई अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें मिलीं। कई की तो सेवा ‘नियमित’ भी नहीं हुई है।
रिपोर्ट साभार दैनिक जागरण