टाॉपर घोटाले में फरार चल रहे निवर्तमान बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर की पत्नी ऊषा सिन्हा की शैक्षिक योग्यता भी कमाल की है. ऊषा ने 10 वर्ष की आयु में मैट्रिक व 12 वर्ष की उम्र में स्नात्क कर चुकी थीं.
विनायक विजेता
मेधा घोटाले से चर्चा में आए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के फरार पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी ऊषा सिन्हा की शैक्षणिक योग्यता भी संदेह के घेरे में ही नहीं बल्कि अविश्वसनीय है। वर्ष 2010 से 2015 तक नालंदा के हिलसा विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक रह चुकी ऊषा सिन्हा ने वर्ष 2010 में अपने नामांकन में जो शपथ पत्र दायर किया वह काफी सनसनीखेज है।
19 अक्टूबर 2010 को नामांकन प्रक्रिया के तहत जमा किए जाने वाले नाम निर्देशन पत्र के भाग-3 में ऊषा सिन्हा ने अपने को 49 वर्ष का पूरा होना बताया है। गणना के हिसाब से उनकी जन्म तिथि वर्ष1961 के किसी माह में होता है। इसी प्रपत्र के कॉलम-बी में अपनी शैक्षणिक योग्यता के संदर्भ में इंगित करते हुए ऊषा सिन्हा ने 1969 से 1971 के बीच यूपी बोर्ड से मैट्रीकुलेशन, 1973-74 में गोरखपुर से बीए-बीएड, 1976 में अवध विश्वविद्यालय से एमए और 1984 में मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी करना बताया है।
वर्ष1961 में ऊषा सिन्हा के जन्म के हिसाब से उन्होंने महज दस वर्ष की आयु में मैट्रिक की परीक्षा और महज 12 वर्ष की आयु में स्नातक, 14 वर्ष की आयु में एमए और 24 वर्ष की आयु में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर ली जो असंभव है।
मेधा घोटाले में गिरफ्तार संजीव झा ने भी सिन्हा के बारे में कई राजफाश किए हैं। उसने पुलिस को बताया कि आशा सिन्हा की बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड में भी गहरी पैठ थी जिस बोर्ड के अध्यक्ष की मिली भगत से आशा सिन्हा ने मध्यमा की परीक्षा से लेकर ऊपर तक की परीक्षा में अंको और संस्कृत कॉलेजों में नियुक्तियों में जबर्दस्त हेराफेरी कर लाखो रुपये कमाए।
लालकेश्वर प्रसाद सिंह के बाद अब उनकी पुव विधायिका पत्नी पर भी शिकंजा कसने के आसार हैं। ऊषा सिन्हा पटना के कंकड़बाग स्थित गंगा देवी कॉलेज की प्राचार्य भी हैं। पांच वर्ष तक विधायक होने के क्रम में उन्होंने कॉलेज से लंबी छुट्टी ले रखी थी। बीते वर्ष टिकट से वंचित किए जाने के बाद उन्होंने बीते फरवरी में फिर से अपने कॉलेज और अपने पर पर योगदान दिया था पर अभी वह गायब हैं।