बिहार में पटना की एक अदालत ने फर्जी निविदा के जरिए करोड़ों रूपये का गबन करने के मामले में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह की नियमित जमानत याचिका आज खारिज कर दी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (छह) के न्यायाधीश शाहिद रईस ने यहां मामले में सुनवाई के बाद बीएसइबी के पूर्व अध्यक्ष श्री सिंह को जमानत की सुविधा देने से इंकार कर दिया।
मामले के अनुसार, बीएसइबी के पूर्व अध्यक्ष श्री सिंह ने फर्जी निविदा के जरिए गुजरात के व्यवसायी श्रीपल कुमार उर्फ भरत भाई शाह से विभिन्न परीक्षाओं के लिए आठ करोड़ 56 लाख 234 रूपये मूल्य की उत्तर पुस्तिका की छपवाई करवा ली, लेकिन उन्हें एक रूपये का भी भुगतान नहीं किया। बाद में व्यापारी श्री साह ने जब वर्तमान सचिव अनूप सिन्हा को इसकी जानकारी दी तो जांच के दौरान पता चला कि बीएसइबी की ओर से ऐसी कोई निविदा आमंत्रित ही नहीं की गयी थी और निविदा पूरी तरह फर्जी थी। इसके बाद व्यापारी श्री शाह ने गबन को लेकर राजधानी पटना के कोतवाली थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करा दी।
फर्जी टॉपर्स घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच दल( एसआईटी) से व्यापारी श्री शाह ने शिकायत करते हुए इससे संबंधित कागजात भी दिए थे, लेकिन जब इन कागजातों के बारे में बीएसइबी से जानकारी मांगी गयी तो जबाव मिला कि ऐसे कोई दस्तावेज निर्गत ही नहीं किये गये है।
उल्लेखनीय है कि बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉपर्स घोटाले के कथित मास्टरमाइंड बीएसइबी के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी एवं जदयू की पूर्व विधायक उषा सिन्हा को 20 जून को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था, जो इस समय जेल में बंद है।