लालू प्रसाद ने अपने सार्वजनिक जीवन में अब तक की सबसे बड़े कानूनी राहत हासिल कर ली है. चारा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की अदालत को फैसला सुनाने से रोक दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लालू प्रसाद यादव के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. लालू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए निचली अदालत के जज के प्रति पक्षपात की आशंका जाहिर की थी.
लालू ने आशंकाका जाहिर की थी कि चुंकि बिहार के शिक्षा मंत्री को उनकी पार्टी ने महाराजगंज लोकसभा उप चुनाव में हरा दिया है इसलिए इससे बौखला कर उनके खिलाफ फैसला सुनाया जा सकता है.
लालू के वकील का तर्क था कि शिक्षामंत्री पीके शाही के रिश्तेदार पीकी सिन्हा झारखंड अदालत के जज हैं ऐसे में उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण फैसला सुनाया जा सकता है.
हालांकि इससे पहले हाईकोर्ट ने लालू की अर्जी को अस्वीकार कर दिया था. जिसके बाद लालू सुप्रीम कोर्ट के शरण में गये थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी यह दलील स्वीकार करते हुए उनकी अपील पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को अपना पक्ष रखने के लिए 23 जुलाई तक का समय दिया है.