केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई तो केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्री भी अपनी गाड़ियों पर लाल बत्ती नहीं लगा सकेंगे। केंद्र में 5 पदों और राज्य में 4 पदों पर आसीन लोगों के लिए ही लाल बत्ती के इस्तेमाल को मंजूरी देने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। इस बारे में अंतिम प्रस्ताव पेश करने से पहले गडकरी ने महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्रालयों से उनकी राय मांगी है।
मंत्री नितिन गडकरी चाहते हैं कि केंद्र में राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर और देश के चीफ जस्टिस को ही यह विशेषाधिकार मिले। इसी प्रकार वह राज्यों में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए लाल बत्ती वाली कार की सुविधा चाहते हैं। सूत्रों ने बताया कि गडकरी ने इस मसले पर कैबिनेट के अपने सहयोगियों गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से राय मांगी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने की थी पैरवी
सितबंर 2013 में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में लाल बत्ती के सीमित इस्तेमाल की पैरवी की थी। गडकरी ने उस समय के बाद से चल रही प्रक्रिया, विभिन्न मंत्रालयों के साथ हुए पत्राचार, कानूनी राय और अब तक मिले सुझावों का ब्योरा भी मंत्रियों को भेजा है। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि इन मंत्रियों के विचार आने के बाद सरकार के सामने औपचारिक प्रस्ताव लाया जाएगा। इसमें कुछ समय लग सकता है, लेकिन एक बात साफ है कि लाल बत्ती का इस्तेमाल करने वालों की संख्या काफी सीमित की जाएगी। एक बार यह हो जाता है तो इसे लागू कराने के लिए कड़े नियम और जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा।