पटना विश्व विद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद वासे जफर ने मर्माहत कर देने वाले बयान में आरोप लगाया है कि पटना के लिटेरा वैली स्कूल ने उनकी बेटी का एडमिशन लेने से केवल इस लिए मना कर दिया कि वह हिजाब पहनती है.
प्रोफेसर वासे की बेटी ने सीबीएससी की कक्षा दसवीं में 10 सीजीपीए हासिल किया है और वह 11वीं में नामाकन कराना चाह रही थीं. प्रो वासे के इस आरोप पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है.
उधर इस संबंध में नौकरशाही डॉट कॉम ने लिटेरा वैली स्कूल के अधिकारी नवनीत कुमार ( जो नाम उन्होंने बताया) से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि समर वैकेशन है इसलिए प्रिसिंपल से बात नहीं हो सकती. जब उनसे प्रिसिंपल का नम्बर मांगा गया तो उन्होंने यह कहते हुए नम्बर देने से इनकार कर दिया कि उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं है.
प्रो. वासे जफर ने भाउक होते हुए इस संबंध में फेसबुक पर अपनी पीड़ा साझा की है. उन्होंने लिखा है कि पटना विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं शिक्षा संकाय पटना विश्वविद्द्यालय, के संकायाध्यक्ष रह कर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योदान दिया है. अगर हमारे जैसे लोगों को भेदभाव की ऐसी जिल्लत सहनी पड़ रही है तो आम लोगों की हालत की कल्पना की जा सकती है.
प्रो. वासे जफर ने कहा कि जब प्रिंसिपल ने इस मामले में बात करने से इनकार कर दिया तो संस्थान के कुछ अधिकारियों ने बताया कि हमारी Internal Policy है । मुझे नहीं समझ आरहा कि धर्म और संस्कृति के नाम पर भेद भाव करने की यह कौन सी policy और हिजाब शिक्षा ग्रहण करने में रुकावट कैसे है ? ये स्कूल शिक्षा दे रहे हैं या भारतीय सभ्यता और बहुवादी संस्कृति की बैंड बजा रहे हैं । ये समानता, न्याय और बंधुत्व की क्या शिक्षा दे पाएँगे ।
वासे ने लिखा है कि यह तब हुआ है जब पूरा भारतीय समाज बेटियों की शिक्षा के लिए आवाज़ें लगा रहा है और हमारे प्रधान सेवक बेटी पढाओ की बाते कर रहे हैं ।
प्रो. वासे ने यहां तक दावा किया है कि उस स्कूल द्वारा भेदभाव किये जाने का यह पहला मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि इसी स्कूल में उनके एक मित्र की बच्ची के साथ भी हुआ है जो खुद एक प्राइवेट स्कूल के निदेशक हैं।
प्रो. वासे ने इस घटना को अपने लिए अपमानजनक बताते हुए कहा है कि हो सकता है कि मेरे इस अपमान पर कुछ लोगों को बड़ी ख़ुशी हो क्योंकि हमारा समाज अब हर घटना को एक नए चश्मे से देख रहा है लेकिन एक शिक्षक का यह अपमान देश के लिए ख़तरे की घंटी है । देखता हूँ कि वह लोग जो अभी कुछ दिनों पहले भारतीय मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की बात कर रहे थे एक शिक्षक की बेटी को शिक्षा से वंचित करने के मामले में न्याय दिलाने के लिए कितना आगे आते है?