बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह। 1981 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। मूलत: बेगूसराय के रहने वाले हैं। लुप्त हो रहे पेड़-पौधों का संरक्षण व संवर्धन उनका शौक है और संकल्प भी। उन्होंने कहा कि उनकी पहचान अधिकारी के रूप में कम, प्रकृति प्रेमी के रूप में ज्यादा है।
वीरेंद्र यादव
सर्कुलर रोड स्थित उनका सरकारी आवास अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे पेड़-पौधों का आश्रयस्थल है। इसके लिए उन्होंने नर्सरी भी बना रखी है। वह वर्मिंग कंपोस्ट भी खुद तैयार करते हैं। इसके लिए उन्नत प्रजाति के केचुओं का इस्तेमाल करते हैं। उनके आवास का पूरा परिसर दुर्लभ पौधों से भरा पड़ा है। वे पौधों के संरक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीकी का भी सहारा ले रहे हैं। उनका कहना है कि दुनिया भर में हजारों पेड़-पौधे विभिन्न कारणों से लुप्त हो रहे हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए भी बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए वे खुद वैश्विक संगठनों और मंचों पर अपनी आवाज उठाते रहे हैं।
प्रशासनिक जिम्मेवारियों के बीच पेड़-पौधों के लिए समय निकाल पाना चुनौती भरा कार्य है। इस संबंध में वे कहते हैं कि व्यक्ति का मकसद स्पष्ट होता है तो उसके लिए वह समय निकाल ही लेता है। प्रशासिनक जिम्मेवारियों की चुनौती, उलझन और तनावों को कम करने में यही पौधे मदद करते हैं। इन पौधों के बीच पहुंचकर बड़ी शांति मिलती है। इनसे संवाद भावनात्मक संतुष्टि प्रदान करता है। मुख्यसचिव के आवास के मुख्यद्वार में प्रवेश करते ही किसी नये परिवेश के साथ आत्मसात करने का अहसास होता है। और यह सब अंजनी बाबू के संकल्प की वजह से संभव हो सका है।