वरिष्ठ समाजवादी नेता व जद यू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह बता रहे हैं कि मोदी सरकार उत्तराखंड-अरुणाचल में लोकतंत्र की हत्या कर, युवाओं का रोजगार छीन कर व संस्थानों को ध्वस्त करके जश्न मना रही है.
क्या सचमुच ‘मेरा देश बदल रहा है,आगे बढ़ रहा है’?या फिर हमारा देश एक संकट के काल से अपना साक्षात्कार कर रहा है?या फिर देश के भीतर दो देश (अमीरों और गरीबों का ) को पिछले दो सालों से गढा जा रहा है। जबाब हमें ही खोजना होगा।
आम तौर पर ऐसे समय में सरकार अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करती है और जनता के बीच अपनी योजनाओं की वास्तविक स्थितियों को रखती है। खैर,सरकार अभी इस मुद्रा में नहीं है ,वह जश्न मनाने में मशगूल है। क्या यह जश्न इसलिए मनाया जा रहा है कि इस जश्न के धूम धाम में वह कड़वी आवाज दब जाये,जो सरकार से कुछ प्रश्न करना चाहती है और प्रधानमंत्री जिसे ‘बिरोधवाद’ कह रहे हैं।
गरीबों की थाली से दाल-सब्जी गायब
अच्छे दिनों के वादे ‘बुरे दिन’ में बदल चुके हैं।गरीबों की थाली से दाल-सब्जी गायब हैं। हजारों किसान अत्महत्या कर चुके हैं। लाखों युवा बेरोजगार बैठे हुए हैं। देश में दंगा हो रहे है,अपराध बढ़ रहे हैं। विदेश नीतियाँ चरमरा रही हैं। जनता के ऊपर ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं । और सरकार कह रही है कि ‘मेरा देश बदल रहा है ‘?यह अजीब स्थिति है जहाँ केवल लफ्फाजी और झूठ की बिक्री हो रही है।
पिछले दो वर्षों में मोदी सरकार हर मोर्चे पर असफल रही है। उसकी दिशाहीनता हर संदर्भ में दिखाई पड़ती है। विदेश नीति के नाम पर केवल भ्रमण को अंजाम दिया जाता रहा है और तो और जिन मुल्कों से हमारा रिश्ता पहले ठीक था अब वह भी बिगड़ चुका है। विदेश से सरकार केवल सेल्फ़ी लाती रही और झूमती रही। स्किल डेव्लपमेंट के नाम पर केवल झूठे सपने बेचने का कौशल सिखाया जाता रहा।
3200 किसानों ने की आत्महत्या
दो सालों के भीतर लगभग 3200 किसानों ने अत्महत्या की। जश्न में उन किसानों को श्रद्धांजलि नहीं दी गयी। किसानों से जो वादे किए गए थे,वह वादे अभी तक पूरे नहीं हुए। कृषि विकास दर अप्रत्याशित रूप से गिर गया और सरकार देखती रह गयी। इस अवसर पर सरकार यह बताए कि इन वर्षों में उनके लिए क्या किया गया ,हाँ कर्ज से दबाने के लिए कई घोषणाएँ कर दी गईं।
अभिव्यक्ति की आजादी’का हरण, संस्थानों पर हमला
पिछले दो वर्षों में सरकार ने ‘अभिव्यक्ति की आजादी’का हरण कर लिया। लेखकों,बौद्धिकों,शिक्षकों के शरीर को लहूलुहान किया जाता रहा। कई अवसर पर उनके प्राण तक ले लिए गए। संस्थानों पर हमला कर सरकार ने नया कीर्तिमान बनाया। हैदराबाद में दलित छात्र रोहित की हत्या से लेकर जे.एन.यू को ध्वस्त करने की परियोजना बनाई जाती रही। सरकार ने अपने तांडव से इन संस्थानों को रौंदने की भरसक कोशिश की। शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण करने के लिए सारे दरवाजे खोल दिये गए। शिक्षा के क्षेत्र में 55% की फंड कटौती की गयी। विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को नौकरी से निकालने के फरमान तक दिये गए। आज इसीलिए उच्च शिक्षा संघर्षरत है।
भ्रष्टाचार की बात
बात भ्रष्ट-आचार और कालेधन की भी करूंगा। व्यापम घोटाले पर क्या कारवाई हुई?ललित मोदी प्रकरण में क्या हुआ ? विजय माल्या कहाँ हैं ?सरकार तो कह रही थी कि सौ दिन के भीतर काले धन लाऊँगा आज तो दो वर्ष बीत गए। उल्टा हमारे देश का पैसा लेकर माल्या और ललित मोदी बाहर भाग गए। अब तो पंद्रह लाख आने की बात छोड़ ही दीजिये।
अरुणाचल व उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या की
दो साल के भीतर सरकार ने दो प्रदेशों की चुनी हुई सरकार को अस्थिर कर लोकतन्त्र की हत्या की। अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कैसा उत्पात मचाया गया ,यह किसी से छुपा नहीं है। लोकतन्त्र को सरकार ने खिलौना बना दिया। 56 इंच के छाती के बाद भी चाय बेचने वाले का प्रचार होता रहा। आतंकी हमले होते रहे और हमारे जवान शहीद होते रहे।
दो वर्षों में कई प्रदेशों के भीतर पानी की किल्लत दूर नहीं हुई लेकिन वहाँ स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रेन चलाने की योजना है।देश के भीतर बेरोजगारी चरम पर है। युवा हताश है और सरकार जश्न के मूड में है।
बेटी बचाओ या बेटियों को पीटो
‘बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ के नाम पर बी.एच.यू के भीतर सरकार के प्रचारक ने बेटियों को पीटा,अपमानित किया। भाजपा द्वारा महिलाओं को कई कई बच्चे पैदा करने की नसीहतें दी गयी। राष्ट्रवाद को दूसरे तरीके से गढा गया। खैर…संदर्भ तो और भी कई है,लेकिन अंत में कुछ सवाल.
नमामि गंगे का क्या हुआ ?जन धन योजना का क्या हुआ ?स्वच्छता अभियान का क्या हुआ ?मेक इन इंडिया का क्या हुआ ?संसद आदर्श ग्राम योजना का क्या हुआ ?अटल पेंशन योजना का क्या हुआ ?डिजिटल इंडिया का क्या हुआ ?स्टार्ट अप का क्या हुआ ?
इन प्रश्नों से गुजरे बिना हमारा देश भला कैसे बदलेगा ?