कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने लोकपाल की चयन समिति की शुक्रवार की बैठक में “विशेष आमंत्रित” सदस्य के रूप में हिस्सा लेने से यह कहते हुये इनकार कर दिया कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।
लोकपाल कानून के अनुसार चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं। लोकसभा में किसी को भी विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल नहीं है। श्री खडगे सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता हैं इसलिए उन्हें बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया जाता है। वह पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि इस कानून में संशोधन कर लोकसभा में विपक्ष के नेता की जगह सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को चयन समिति में सदस्य रखने का प्रावधान किया जाना चाहिए और पहले भी वह कई बार बैठक में शामिल नहीं हुए।
श्री खडगे ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने लिखा है कि विशेष आमंत्रित ” सदस्य को लोकपाल की चयन प्रक्रिया में मतदान में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं होगा और इसलिए मैं पूरी सोची-समझी रणनीति के तहत विपक्ष की आवाज दबाना स्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने ‘नेता प्रतिपक्ष’ की जगह ‘सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता’ को चयन समिति में शामिल करने के लिए लोकपाल अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के लिए वर्ष 2014 से अब तक कोई कोशिश नहीं की। पिछले साल 28 फरवरी से यह सातवाँ मौका है जब श्री खगडे ने लोकपाल चयन समिति की बैठक में शामिल होने से इनकार किया है।