मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के चुनाव सुधार के लिए वर्ष 2024 से लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रयासों का आज जहां मजबूती से पक्ष लिया, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा चुनाव कराने की संभावनाओं को खारिज कर दिया।
श्री कुमार ने ‘लोक संवाद’ कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से कहा कि मैं सैद्धांतिक रूप से लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव एक साथ कराने का पक्षधर हूं। ये चुनाव अलग-अलग समय में कराने में काफी समय लग जाता है तथा विकास कार्य भी बाधित होते हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचित सरकार को पूरा काम करने का समय मिलने के साथ ही सदन को भी पांच साल चलना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि वर्ष 1967 से पहले देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव एक साथ कराने पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति बन जाने के बाद इसके लिए संविधान में आवश्यक संशोधन करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि एक बार सरकार बन जाने के बाद वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करे। श्री कुमार ने कहा कि नगर निकाय एवं पंचायती राज चुनाव से जुड़े कई प्रशासनिक फैसले अभी भी लंबित पड़े हुये हैं। इससे न केवल विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है, बल्कि विकास कार्य भी बाधित होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा कि नगर निकाय एवं पंचायती राज चुनाव के दौरान यदि एक प्रशासनिक अधिकारी कुशलतापूर्वक काम नहीं कर रहे हैं और उनके क्षेत्र में विधि-व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है तो बिना चुनाव आयोग की अनुमति के बिना उसका तबादला नहीं होना चाहिए।