एनडीए में शामिल होने के बाद जदयू पर भाजपा के बढ़ते शिकंजे की धार कुंद करने के लिए जद यू ने बड़ा दाव चला है. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि 2019 में लोकसभा के साथ बिहार विधान सभा चुनाव कराने के लिए उनकी पार्टी तैयार है.
नौकरशाही न्यूज ब्यूरो
ब जाहिर जदयू ने यह बात अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के उस बयान के जवाब में कही है जिसमें नकवी ने कहा था कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव साथ साथ कराने पर वोट बैंक की राजनीति पर लगाम लगेगा, लेकिन जदयू के इस बयान के मायने इससे कहीं आगे तक हैं.
27 जुलाई को भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद यह माना जाता रहा है कि भाजपा यह समझने लगी है कि अब जदयू को धीरे-धीरे कमजोर करना है. जद यू कोटे से मंत्रिमंडल में किसी को जगह नहीं देने, बाढ़ राहत के रूप में महज 500 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता देने और नरेंद्र मोदी द्वरा राज्य सरकार के भोज में शामिल न होने जैसे मुद्दों से जदयू का शीर्ष नेतृत्व असहज रहने लगा है. ऐसे में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण का यह बयान कि 2019 में ही लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव के लिए वह तैयार है, भाजपा की रणनीति को चुनौती देने जैसा है.
राजनीतिक हलकों में माना जाता रहा है कि 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा यह चाहेगी कि नीतीश कुमार 2014 की तरह ही कमजोर रहें और भाजपा फायदा उठा ले. क्योंकि 2014 में राजद और जद यू ने भाजपा के खिलाफ अलग अलग चुनाव लड़ा था तो इसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ था और जदयू महज दो सीटों पर सिमट गयी थी. चूंकि एनडीए को 2014 में 30 सीटें मिली थीं, ऐसे में जद यू को ज्यादा सीटें देने के मूड में भाजपा नहीं होगी. लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ हो तो ऐसे में विधानसभा में सीटों की संख्या पर जद यू भाजपा से बारगेन कर सकता है.
राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का 2019 यानी समय से डेढ़ साल पहले चुनाव कराने संबंधी बयान कोई मसखरा में दिया गया बयान नहीं, बल्कि गहन रणीतिक बयान है.
जदयू इस तरह का बयान दे कर भाजपा के ऊपर कई तरह का दबाव डालने का दाव चल चुका है. आने वाले कुछ दिनों में इस बयान पर जोरदार बहस भी हो सकती है.