हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका, जिन्होंने रॉबर्ट वाड्रा द्वारा डीएलएफ को बेची गई जमीन को निरस्त कर दिया था, कुछ लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है.
खेमका के मित्र और वरिष्ठ वकील अनुपम गुप्ता ने कहा, मैं खेमका से मिला हूं और उन्होंने मुझे बताया कि उनको कई धमकी भरे फोन कॉल मिले हैं. उन्होंने कहा कि फोन करने वाले ने उन से कहा कि अफनी हरकतों से बाज नहीं आये तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा. अनुपम ने कहा है कि अग ऐसे कॉल आते रहे तो वह अदालत की शरण में जायेंगे.
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भूमि सुदृढ़ीकरण एवं भूमि रिकॉर्डस महानिदेशक सह पंजीकरण महानिरीक्षक के पद पर अपने आखिरी दिन यानी कल अशोक खेमका ने मानेसर शिकोहपुर में तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के उस भूखंड के म्यूटेशन (दाखिल खारिज) को रद्द करने के लिए एक आदेश भी जारी कर दिया था. यह भूखंड वाड्रा ने डीएलएफ को बेच दिया था.
उनके इस फैसले के तुरत बांद खेमका को उनके पद से हटा दिया गया था. खेमका ने इस पद पर कुछ महीने ही पहले ही सेवा शुरू की थी.
1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका ने अपने तबादले के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह मनोबल को गिराने वाला और अमानवीय है. उन्होंने कहा कि अगर ये समस्याएं खुल कर सामने लाई गईं होतीं तो संभवत: मेरे फैसले सामान्य और सही प्रतीत होते. लेकिन सारी चीजें अंदरखाने में और छुपा के की गईं.
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अधिकारी ने कहा अगर आप ऐसी कार्रवाई करते हैं जिसे आप कठोर कहते हैं तो इस पर आपके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. और यह एहसास कराया जाता है कि गलती करने वाले वो लोग नहीं बल्कि आप खुद हैं. यह मनोबल को तोड़ने वाला है.
खेमका ने हरियाणा के मुख्यसचिव को इस संबंध में पिछले दिनों एक पत्र लिखा था जिसमें उनके 20 साल के कार्यकाल में 43 बार ट्रांस्फर किये जाने पर ऐतराज जताया था. खेमका ने अपने पत्र में यह भी कहा था कि उनके परिवार और उनकी जान को खतरा है इसलिए उन्हें उचित सुरक्षा दी जानी चाहिए.