पटना- इस कार्यक्रम के प्रति लोगों में इतना उत्साह दिखा कि बड़ा सा सभागार भी छोटा पड़ गया। मातापिता और अन्य परिजन उत्सुकता से मंच की ओर निहार रहे थे। कुछ हीं पल के बाद जब नन्हेंमुन्हे बच्चे गीतों के धुन पर मधुर मुस्कान के साथ थिरकते नज़र आए तो अभिभावकों की बाँछे खिल उठी। अपने नौनिहालों को नाचतेगाते देख कर सबकी आँखों में ख़ुशी के आँसू भर आए। अवसर था बेउर स्थित पाटलिपुत्र विद्यापीठ के १०वें वार्षिकोत्सव काजिसका उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद तथा पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा एस एन पी सिन्हा ने मंगलदीप प्रज्ज्वलित कर कुछ क्षण पूर्व हीं किया था।

गणेशवंदना पर समूहनृत्य से आरंभ हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ जुबीडूबी नृत्य के साथ संपन्न हुई। इस बीच छात्रछात्राओं ने नाटकगायनवाँसुरीवादनकाव्यपाठ और नृत्य के ११ कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इनमें एक बटा दोदो बटा चार—” गीत पर प्रस्तुत नृत्य,राजस्थानी घुमर तथा “जूबी डूबी” गीत पर नन्हेंमुन्हों का नृत्य को ख़ूब पसंद किया गया। प्रस्तुत करने वाले बच्चों में उत्तर उत्तरायणकृत्यादित्यसोनालीरश्मिशिवानीआदित्याप्रतीकआयुषज्ञानाविद्याविष्णुसाहिलरोहितअदितिअर्पिताआयुशीओम्,ख़ुशीज्योतिअतुलप्रकृतिख़ुशबूहर्षितादीपालीमनीषाअपराजितासौरभगौरवपल्लवीकोमलशुभा तथा अहसास मणिकांत के नाम शामिल हैं।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने चरित्रवान और गुणवान नागरिक बनने का संकल्प लिया। इसके पूर्व समारोह की अध्यक्षता करते हुएविद्यापीठ के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा किविद्यालय और शिक्षकों का कार्य केवल पुस्तक के पाठ पढ़ा देने से संपन्न नही हो जाता। यह ज्ञान का आती गौण रूप है। शिक्षा का सही अर्थ है चरित्रवान गुणवान मानव संसाधन तैयार करना। एक सच्चा और अच्छा मनुष्य तैयार करना। उन्होंने कहा कि संसार में शिक्षक से बड़ा कोई नही हो सकता। अच्छा शिक्षक होनाकुछ भी होने से बहुत बड़ा है।

इस अवसर पर विद्यापीठ की प्राचार्या मेनका झाआकाश कुमारकिरण झासंगीताचार्य श्याम किशोरआभासकुंदन झाप्रीति सिंहराहुल कुमारनीमीषाविभाअंकितामनोज कुमार झाकाजल तथा शंकर कुमार पंडित समेत प्रबंधन समिति के अधिकारीगण,शिक्षकशिक्षिकाएं और बड़ी संख्या में अभिभावक उपस्थित थे।

By Editor


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