राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के सबका साथ, सबका विकास के नारे को छलावा करार दिया और कहा कि सामाजिक रूप से पिछड़े एवं हाशिये के वर्गों को सभी सत्ता केंद्रों पर जबतक अपनी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी नहीं मिल जाती है, तब तक देश का समग्र विकास नहीं हो सकता।
श्री यादव ने सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर लिखा है कि केवल ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे देने से विकास नहीं हो जाएगा, जब तक सामाजिक रूप से पिछड़े एवं हाशिये के वर्गों को सभी सत्ता केंद्रों पर अपनी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी नहीं मिल जाती तब तक देश का समग्र विकास नहीं हो सकता। जब-जब और जहां-जहां जिस प्रदेश में किसी क्षेत्रीय पार्टी के दलित एवं पिछड़े मुख्यमंत्री की सरकार बनी है, तब तब सामाजिक रूप से अंधों, असमानता के पक्षधरों एवं सामंती विचारधारा के लोगों को वहां जंगलराज दिखा है।
राजद सुप्रीमो ने कहा कि वर्ष 1990 के मंडल आयोग से पहले इन लोगों को जातिवाद देशभर में कहीं भी नहीं दिखता था। इनके लिए सबकुछ मंगलमय था, क्योंकि हर जगह ये अन्यायी लोग गरीबों, शोषितों, वंचितों, उपेक्षितों एवं उत्पीड़ितों का हक़ मारकर बैठे थे। जब हम लोगों ने इन्हें दूर भगाया तो हम इनकी आँखों में खटकने लगे और ये अपने सत्ता समर्थित संस्थानों के ज़रिये हमे हटाने और बदनाम करने का कुचक्र रचने लगे। हमारे लोगों में सामाजिक और राजनैतिक चेतना का विकास हुआ और वे इन लोगों से अपना हक़ मांगने लगे।
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