मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही बहस के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा है कि जो लोग देश के विकास की मांग करते हैं, उन्हें इसमें खुद योगदान करना चाहिए और ईमानदारी से कर भुगतान करना चाहिए।
श्री जेटली ने आज फरिदाबाद में राष्ट्रीय सीमा शुल्क उत्पाद एवं नरकोटिक्स अकादमी की स्थापना दिवस पर भारतीय राजस्व सेवा के 67वें बैच के अधिकारियों के विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी देश को चलाने के लिए राजस्व जरूरी है और इस राजस्व की प्राप्ति के बाद ही भारत एक विकासशील देश से विकसित अर्थव्यवस्था बन पायेगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे समाज में जहां लोग कर भुगतान को महत्व नहीं देते रहे हैं, लेकिन समय बदलने के साथ अब लोगों की मानसिकता बदली है और वे महसूस करने लगे हैं कि कर भुगतान होना चहिए। उन्होंने कहा कि इसी वजह से अब सभी तरह के करों को समाहित करने की जरूरत है। अगर कर ढांचे में एक बार बदलाव स्थापित हो जाता है तो बेहतरी की संभावनायें बढ़ जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार हम जब राजस्व निरपेक्ष हो जाते हैं तो हमें और सुधार की जरूरत महसूस होने लगती है। वित्त मंत्री ने लोगों से कर भुगतान करने की अपील करते हुए कहा कि करों के मामले में किसी तरह की कोताही की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए ।