अखिलेश की तस्वीर गौर से देखिये. विज्ञापन के ऊपर लगी इस तस्वीर की खूबी यह है कि विज्ञापन में सीएम की तस्वीर न छापने के अदालती आदेश का चतुराई से विकल्प निकाल लिया गया है.

जागरण समूह का अखबार है इंकलाब
जागरण समूह का अखबार है इंकलाब

नौकरशाही डेस्क

अपनी चमकती हुई तस्वीर अखबारों में देखने की ललक जितनी आम लोगों की होती है उससे कहीं ज्यादा ये चाह नेताओं-मंत्रियों की होती है. हालांकि जबसे सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी कर दिया कि किसी भी मंत्री, मुख्यमंत्री की तस्वीर पब्लिक मनी से दिये गये विज्ञापनों में न लगायी जाये, तो नेताओं को बहुत निराश होना पड़ा. देखते-ही देखते अखभारों के सरकारी विज्ञापनों से मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों की तस्वीरें गायब हो गयीं. हां, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इतनी मेहरबानी जरूर दी कि देश के प्रधान मंत्री की तस्वीर विज्ञापनों में जा सकती है.

मुम्बई संस्करण में विज्ञापन

लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मीडिया घरानों से मिल कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का एक तकनीकी विकल्प खोज निकाला है. इस अखबार की तस्वीर से देखने पर सारी चीजें स्पष्ट हो जायेंगी. दैनिक जागरण समूह के अखबार इंकलाब के मुम्बई संस्करण में बुधवार को सीएम अखिलाश यादव ने अपनी सरकार के काम काज का मेन पेज पर विज्ञापन जारी किया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस विज्ञापन में सीएम की तस्वीर नहीं जा सकती. लेकिन आप देख रहें हैं कि अखबार के टाप में सीएम अखिलेश यादव की चमकती हुई तस्वीर है. लेकिन नियमानुसार  अखलिश की यह तस्वीर विज्ञापन वाले पोर्सन का हिस्सा नहीं है. विज्ञापन नियमों के अनुसार अखबार का मास्ट हेड के बगल वाला हिस्सा सरकारी विज्ञापन के दायेर से बाहर है.

सरकार और मीडिया की चतुराई

इस तस्वीर को देखने से यह साफ पता चल जाता है कि मीडिया घराने और सरकार ने आपसी चतुराई से यह रास्ता निकाला है कि अखबार विज्ञापन वाली जगह पर सीएम का तस्वीर भले न छापे पर मास्ट हेड पर तस्वीर छाप दे.

अखबारी घराने ने यह रास्ता संभव है कि अखिलेश सरकार को बताया हो.

सरकारी विज्ञापन में सीएम की तस्वीर न छापने के आदेश की काट सबसे पहले हिंदुस्तान अखबार ने सीएम अखिलेश यादव को सिखायी थी. कुछ महीने पहले अखबार ने मीडिया इनिसियेटिव के नाम से अखिलेश सरकार का विज्ञापन छापा था. और विज्ञापन के स्पेस के बगल में अखिलेश यादव की तस्वीर छपी थी.

अब इसी रणनीति को इंकलाब ने अपनायी है. ऐसा करने से तकनीकी रूप से तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं होता लेकिन यह जरूर पता चल जाता है कि विज्ञापन के ऊप तस्वीर छापने से अखिलेश सरकार जो मैसेज देना चाहती है वह अवाम तक पहुंच रहा है.

संभव है कि इस बुद्धिपरक फारमुले को आने वाले दिनों में अनेक राज्यों के सीएम भी अपनायें.

By Editor


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