राज्यपाल लालजी टंडन से विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने मुलाकात की। श्री चौधरी ने राजभवन पहुंच कर राज्यपाल से शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान श्री चौधरी ने श्री टंडन को विधानसभा के गठन, गतिविधियों तथा कार्यसंचालन-नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विधान सभा के आहूत होने वाले तीन नियमित सत्रों के बारे में बताते हुए सर्वाधिक प्रमुख ‘बजट सत्र’ के बारे में राज्यपाल को विस्तार से अवगत कराया।
श्री चौधरी ने विधानसभा की विभिन्न समितियों के क्रियाकलापों एवं गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने विधान सभा की कार्य-संचालन-प्रक्रिया तथा ‘कार्य संचालन नियमावली’ की विशेषताओं से राज्यपाल को अवगत कराते हुए कहा कि ‘प्रक्रिया एवं कार्यसंचालन-नियमावली’ की कुछ मौलिक विशेषताएँ अन्य राज्यों की विधानसभा की नियमावलियों से बिल्कुल अलग हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने इस क्रम में ‘प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली’ के नियम 109 (क) का उल्लेख किया और कहा कि इसे हाल ही में नियमावली में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि नियम 109 में ‘अविश्वास प्रस्ताव’ प्रस्तुत करने का तो उल्लेख पहले से था, लेकिन विश्वासमत के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने का प्रावधान नियमावली में पहले नहीं था।
श्री चौधरी ने कहा कि एकदलीय सरकारों से अलग आज जब गठबंधन की राजनीति के आधार पर विभिन्न राजनीतिक दल मिलकर सरकार गठित कर रहे हैं, वैसी स्थिति में सत्तारूढ़ दल के नेता द्वारा ‘विश्वासमत’ हासिल करने की नई व्यवस्था पहली बार बिहार विधानसभा की ‘प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली’ के नियम 109 (क) के रूप में प्रावधानित की गई है। उन्होंने बताया कि नियमावली में शामिल इस व्यवस्था के तहत ही वर्तमान सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में विश्वासमत के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था लोकसभा कार्य संचालन नियमावली में भी नहीं है। श्री टंडन ने बिहार की वैशाली को ‘गणतंत्र की जननी’ बताते हुए कहा कि बिहार में जनतंत्र की जड़े काफी गहरी जमी हुई हैं तथा यहां जनतांत्रिक सिद्धांतों, परम्पराओं और मर्यादाओं का सभी भरपूर सम्मान करते हैं। राज्यपाल ने बिहार विधान सभा की मौलिक पहलों की प्रशंसा की।