विधान परिषद चुनाव के बाद जो 24 नये चेहरे सामने आये हैं उनकी आर्थिक कुंडली दिलचस्प है. लगता है जीत के लिए धनबली होना जरूरी है. हम 12 धनबलियों की लिस्ट पेश कर रहे हैं.
इन में वैसे लोगों की भरमार है जो शराब के कारोबारी, ठेकेदार, कंस्ट्रक्शन से जुड़े लोग हैं. इस चुनाव परिणाम ने यह भी साबित कर दिया है कि विधान परिषद नामक ऊपरी सदन में जहां पारम्परिक तौर पर बौद्धिक लोगों की जगह होती रही है, अब वहां भी धनबलियों का बोल बाला है.
आइए देखें कि जीते हुए 24 नये पार्षदों में से टाॉप 12 धनबली विधान पार्षदों में से किसके पास किस तरह की और संभावित कितनी सम्पत्ति है.
- औरंगाबाद- भाजपा के पार्षद राजन कुमार नवधनाढ्य ठेकेदार हैं. शरीर पर लाखों रुपये के सोने के चेन के शौकीन के पास राजन कंस्ट्रक्शन नामक कम्पनी है जो सड़कों और पुलों के कारोबार से आगे बढ़े हैं.
- संतोष कुमार सिंह- सासाराम से जीते यह पार्षद चावल की कटोरी कहे जाने वाले सासाराम बक्सर इलाके के धनाढ़्य मिलरों में से एक हैं. इनके मिल में सरकारी धान की खरीद के बाद चावल कुटाई से बड़ी पूंजी खड़ी हो चुकी है.
- सीवन- टुन्नाजी पांडेय भाजपा के टिकट से जीते हैं. शराब कारोबार की पूरी सलतनत है इनके पास. पिछले दिनों एक एसपी के साथ विवाद में काफी चर्चै में आये थे. कहा जाता है कि इस इलाके में शायद ही कोई बोलत है जिसमें इनकी शराब न परोसी जाती हो.
- मुजफ्फरपुर, जदयू के दिनेश प्रसाद सिंह– इनके शपथ पत्र को देख कर कुछ खास अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. पर चर्चा है कि ठेकेदारी और होटल के कारोबार में अकूत कमाई करके दिनेश प्रसाद ने अपनी पहचान बनायी है.
- मोतिहारी- भाजपा से जीतने वाले बब्लू गुप्ता एक साधारण कारोबारी से बढ़ते हुए गैस एजेंसी, और पिछले 10 सालों में ठेकेदारी सी जो दौलत बटोरी है उसकी चर्चा मोतिहारी के लोगों में खूब होती है.
- भोजपुर से राजद के चुने पार्षद राधा चरण सेठ किते बड़े धन्नासेठ हैं इसका अंदाजा लगाना सबके बूते की बात नहीं. बस इतना समझिए कि बालू के खजाने से अकूत सम्पत्ति बनाने वाल हुलास पांडे को इन्होंने हराया ही, साथ ही ही टीवी चैनल और कंस्ट्रक्शन की दुनिया के बड़े कारोबारी अनिल सिंह को भी राधाचरण सेठ ने यूं ही धूल नहीं चटाया है.
- गोपालगंज से भाजपा प्रत्याशी आदित्य पांडे का उभार एक जादुई करिश्मा की तरह साबित हुआ है. झारखंड और बिहार तक फैला इनका कारोबार. सीधे दिल्ली से सम्पर्क. इनके बारे में जितने मुंह उतनी चर्चा. कई जानकारों का कहना है कि टिकट हासिल करने से ले कर जीत दर्ज करने तक पैसों का जितना खेल गोपालगंज में खेला गया, उतना शायद ही कहीं देखने को मिला.
- सहरसा से नूतन सिंह की बस इतनी पहचान है कि वह विधायक नीरज बब्लू की पत्नी हैं. लोजपा प्रत्याशी के रूप में लड़ीं. इनका बड़ा कारोबार ठेकेदारी से शुरू होते हुए नूतन कंस्ट्रक्शन तक पहुंचा है.
- राजद से सुबोध कुमार राय को जानने के लिए जरूरी नहीं कि आप वैशाली के ही हों. वैशाल जिले में शराब के कारोबार में धमक रखने वाले सुबोध अतिमहत्वकांक्षी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. राजनीति में नये है, इसके बावजूद लालू प्रसाद से टिकट लेने में सफल रहे. टिकट हासिल करने में से ले कर जीत दर्ज करने तक इन पर कई तरह के आरोप लगे.
- पूर्णिया- डा दिलीप जायसवाल भाजपा के विदान पार्षद. एक डाक्टर के रूप में पहचान बनाने के बाद इतनी सम्पत्ति अर्जित कर ली कि आज निजी क्षेत्र में जो कुछएक मेडिकल कॉलेज हैं उनमें से एक इनका है. लोग जानते हैं कि मेडिकल कॉलेज में एक एडमिशन के लिए 60-70 लाख रुपये लगना तो आम बात है.
- सारण- भाजपा के जीते प्रत्याशी सच्चिदानंद राय की पहचान पिछले मात्र पांच साल में तेजी से बनी है. राजनीतिक और कारोबारी महत्वकांक्षा से सराबोर सच्चिदानंद ने जद यू से नजदीकी बढ़ाई, परिवहण के छेत्र में देखते देखते सैकड़ों बसों का बेड़ा खड़ा हो गया. अब स्कूल के कारोबार तक पहुंच चुके हैं. एडेन ग्रूप के प्रबंध निदेशक हैं.
- नवादा- जद यू के जीते उम्मीदवार सलमान रागिव दूसरी बार लगातार जीते हैं. बड़े ठेकेदार के रूप में नवादा में पहचान है. बालू रूपी सोने से अकूत सम्पत्ति जमा कर रखी है.