भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माले ने विधायकों के वेतन-भत्ते और पेंशन तथा सुख-सुविधाओं में की गई वृद्धि की कड़ी निंदा की है और कहा कि यह बिहार के गरीबों के साथ क्रूर मजाक है। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल और विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि सरकार का यह फैसला बिहार की गरीब जनता, मजदूर-किसानों और छात्र-नौजवानों के साथ क्रूर मजाक है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधायकों के बढ़े वेतन-भत्ते को रद्द करने की मांग करती है।
माले नेताओं ने कहा कि राज्य के कई इलाके सूखे से प्रभावित हैं और पूरे बिहार को सूखाग्रस्त घेाषित करने की मांग चल रही है। बेरोजगारों की फौज खड़ी है, उनके लिए कहीं रोजगार नहीं है। शिक्षकों-कर्मचारियों और अन्य कामकाजी लोगों को समय पर वेतन नहीं मिलता। सरकार के पास इसके लिए पैसा नहीं है लेकिन विधायकों के वेतन-भत्ता और सुख सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पर्याप्त पैसा है। उन्होंने कहा कि गरीब जनता की कीमत पर जनप्रतिनधियों की सुख-सुविधाओं को बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के विधायकों एवं विधान पार्षदों के वेतन-भत्ते में करीब 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।