केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न्यायापालिका को विधायिका के काम में हस्तक्षेप न करने की सलाह देते हुए आज कहा कि शासन का काम निर्वाचित सरकारों का है। श्री प्रसाद ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में शासन व्यवस्था का ढांचा स्पष्ट रूप से परिभाषित है । इसमें हर अंग के अधिकार निर्धारित हैं और उसके लिए उसकी जवाबदेही भी है ।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को असंवैधानिक और मनमाने कानूनों को निरस्त करने का अधिकार है । गड़बड़ करने वाले राजनेताओं को अयोग्य ठहराने का अधिकार है लेकिन शासन करने और कानून बनाने का काम उन लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जिन्हें जनता ने इसके लिए चुना है । यह काम निर्वाचित सरकारों का है। उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाली न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें यह बात इसलिए कहनी पड़ रही है, क्योंकि हाल के दिनों में कुछ अदालतों में शासन का काम अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति देखी गयी है जिसपर विचार करने की जरूरत है । श्री प्रसाद ने कहा कि शासन के साथ जवाबदेही भी होती है । आप शासन करें लेकिन आपकी जवाबदेही न हो ,यह नहीं चल सकता । संसद ,विधानसभाएं और मीडिया सरकार को जवाबदेह बनाते हैं ।
श्री प्रसाद ने जवाबदेही ,पारदर्शिता और जनभागीदारी को सुशासन का आधार बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने डिजिटल व्यवस्था से शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। श्री प्रसाद ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रूपया चलता है लेकिन अंतिम व्यक्ति तक मात्र 15 पैसा पहुंचता है लेकिन मोदी सरकार की डिजिटल व्यवस्था में अब दिल्ली से यदि एक हजार रूपये जारी होता है तो अंतिम व्यक्ति तक पूरा पैसा पहुंचता है।