राष्ट्रीय जनता दल ने आज आरोप लगाया कि कल विधानसभा में बिहार विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की उनकी मांग मान ली गयी होती तो बहुमत नहीं होने के कारण नीतीश सरकार गिर जाती । राजद के ललित यादव ने विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू होने से पहले कहा कि कल बिहार विनियोग विधेयक 2018 की स्वीकृति के लिए मत विभाजन कराने की मांग विपक्ष की ओर से की गयी थी। उस समय सदन में विधेयक पारित कराने के लिए सत्तापक्ष के पास बहुमत नहीं था। ऐसे में विधेयक पारित नहीं होता और सरकार गिर जाती। उन्होंने कहा कि आसन सर्वोपरी है और वह मानते हैं कि उसका फैसला निष्पक्ष होता है ।
इस पर पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि कार्य संचालन नियमावली के अनुसार मत विभाजन के लिए सदन का दरवाजा बंद होने के बाद सभाध्यक्ष हां या ना के पक्ष में बहुमत के संबंध में सवाल पूछते हैं और जिसके पक्ष में बहुमत होता है उसपर वह अपना नियमन देते हैं। उन्होंने कहा कि कल यदि ना के पक्ष में बहुमत था तो विपक्ष के किसी भी सदस्य ने खड़ा होकर यह नहीं कहा कि उनके पास बहुमत है । इसलिए अब इस पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता।
सभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आसन का कोई भी नियमन संविधान सम्मत और नियमावली के अनुरूप होता है। आसन भी नियमावली से बंधा होता है तथा वह उसी के अनुरूप सदन चलाता है और सदन चलाने के लिए बाध्य भी है। उन्होंने कहा कि यह सदन साक्षी रहा है कि पहले भी ऐसी मांगों पर उन्होंने कभी भी कोई परहेज नहीं किया और दोनों पक्ष को विभक्त कराकर मतदान भी कराया है। उन्होंने कहा कि वह आसन की निष्पक्षता पर भरोसा रखें । आसन किसी के पक्ष या विरोध में नहीं जा सकता है ।
बाद में राजद विधानमंडल दल की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कल नीतीश सरकार गिर गयी थी लेकिन सभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बचा लिया । उन्होंने कहा कि राजद सदस्यों ने विनियोग विधेयक पारित कराने के लिए मत विभाजन कराने की मांग की थी लेकिन सभाध्यक्ष ने उनकी मांग नहीं मानी और विधेयक को ध्वनि मत से पारित करा दिया । उस समय सदन में ना पक्ष का बहुमत था ।