संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज नहीं हो पाने के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए कांग्रेस तथा कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेता आज अपनी शिकायत लेकर राष्ट्रपति से मिले और उन्हें इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सांसद मार्च करते हुए संसद भवन से राष्ट्रपति भवन पहुंचे और वहां जाकर राष्ट्रपति से मुलाकात की।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार के अड़ियल रुख के कारण ही संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार कोई कामकाज नहीं हो सका और उन्होंने राष्ट्रपति से इस बारे में ही शिकायत की। श्री खड़गे ने कहा कि विपक्षी दलों ने नोटबंदी पर पहले नियम 56 के तहत काम रोको प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा कराने का नोटिस दिया लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना। इसके बाद नियम 184 के तहत चर्चा कराने की कोशिश की गई लेकिन सरकार इस पर भी राजी नहीं हुई। फिर विपक्षी दलों ने बिना किसी नियम के भी चर्चा कराने का प्रयास किया लेकिन यह कोशिश भी नाकाम रही।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा से ही किसी समस्या का हल निकलता है। हम जनप्रतिनिधि हैं और हमारी जिम्मेदारी है कि हम नोटबंदी से जनता को हो रही भारी परेशानी को सदन में उठाएं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण किसान, मजदूर ,व्यापारी सब परेशान हैं। कितने ही लोग मर गए , कितने ही बेरोजगार हो गए और कइयों की शादी टूट गई । यह सब हम सदन में रखना चाहते थे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया।
राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे विपक्षी दलों में समाजवादी पार्टी, बसपा, एनसीपी ,वाम दल और जेडीयू के सांसद शामिल नहीं थे, जबकि अब तक ये इस मुद्दे पर साथ रहे हैं।