पंद्रहवीं विधान सभा के अंतिम सत्र का अंतिम दिन शुक्रवार को है। विधान सभा के वेल में उतर कर हंगामा करने का शायद आखिरी मौका भी। स्‍पीकर उदय नारायण चौधरी की व्‍यवस्‍था देने की शैली का भी अंतिम दिन, जब वह कहते हैं कि आपकी बात प्रेस-मीडिया में नहीं जाएगी। और उसका सीधा प्रसारण भी होते रहता है।sanu

वीरेंद्र यादव, ब्‍यूरो प्रमुख बिहार  

 

इस विधान सभा की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि सभी पार्टियां सत्‍ता और विपक्ष दोनों का आंनद उठा चुकी हैं। भले की कुछ घंटे के लिए हो। भाजपा पहले सत्‍ता में थी, बाद में विपक्ष में आ गयी। तो राजद, कांग्रेस व सीपीआई कभी विपक्ष में थे, तो बाद में सत्‍ता के साथ हो लिए। कुछ दिन तक तो सत्‍ता और विपक्ष के बीच झुलते भी रहे। निर्दलियों की कथा निराली है। सत्‍ता में भी रहे और विपक्ष में भी। जदयू भी कुछ घंटों के लिए विपक्षी दल हो गया था और उसके नेता के रूप में विजय चौधरी को मान्‍यता भी दे दी गयी थी।

 

ओबरा सीट खाली

243 सदस्‍यों वाली विधान सभा 242 सदस्‍यों के साथ अवसान की ओर जा रही है। ओबरा से निर्वाचित विधायक सोम प्रकाश सिंह की सदस्‍यता को हाईकोर्ट ने रद कर दी थी। यह मामला सर्वोच्‍च न्‍यायालय में लंबित है, इसलिए वहां चुनाव भी नहीं हुआ। यही वजह है कि यह सीट अभी रिक्‍त है। संयोग से ओबरा हमारा ही विधान सभा क्षेत्र है। विधान सभा अध्‍यक्ष उदय नारायण चौधरी ने द‍ल-बदल विरोधी कानून के तहत जदयू के आठ सदस्‍यों को बर्खास्‍त कर दिया था, लेकिन न्‍यायालय ने उन सदस्‍यों को पुनर्जीवन दे दिया है।sonu 2

 

मांझी का मान

पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की भूमिका लेकर लंबी बहस हो सकती है। लेकिन मांझी ने नीतीश से टकराव के बाद कुछ ऐसे निर्णय लिए, जिसे देर-सबेर नीतीश कुमार को भी मानना पड़ा। कानूनों में भी बदलाव करना पड़ा। 15वीं विधान सभा नीतीश कुमार और लालू यादव की दोस्‍ती की नयी गाथा के लिए याद की जाएगी। लगभग 20 वर्षों तक एक-दूसरे की जड़ में मट्ठा डालने की राजनीति करने के बाद गले मिलने में 20 दिन का समय भी नहीं लगा।

 

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कहा था कि संभावनाओं को यथार्थ में बदलने का नाम राजनीति है। लेकिन निवर्तमान विधान सभा ने साबित कर दिया कि राजनीति में न संभावनाओं का अंत है और सीमाओं का।

(तस्‍वीर फोटो जर्नलिस्‍ट सोनू किशन की है। विधान सभा सदस्‍यों की सामूहिक तस्‍वीर ली गयी)

By Editor

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