बिहार सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार का जिम्मा निभाने वाला सूचना व जनसंपर्क विभाग विरान हो गया है। एक अधिकारी व एक कर्मचारी बैठकर सूचना व जनसंपर्क विभाग के कार्यालय के अस्तित्व में होने का बोध कराते हैं। अधिकारी हैं तो कुछ काम भी आ जाता है। लेकिन कभी चमकने वाला विभाग में आज भूत रो रहा है।
बिहार ब्यूरो
बेली रोड स्थिति सूचना भवन के तीसरे मंजिल पर है सूचना व जनसंपर्क मंत्री का कार्यालय। यह विभाग मुख्यमंत्री के जिम्मे है। जबकि इस विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत हैं। दोनों जिम्मेवारियों के बोझ से दबे हैं। मुख्यमंत्री के पास अभी कम से कम ग्यारह विभाग हैं। इसमें मंत्रिमंडल सचिवालय, ऊर्जा, गृह, निर्वाचन, सामान्य प्रशासन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं। प्रत्यय अमृत के पास भी ऊर्जा और उससे जुड़े कपंनियों की जिम्मेवारी हैं। वह अधिक समय विद्युत भवन में व्यतीत करते हैं। वह यदाकदा आइपीआरडी में भी आ जाते हैं।
लेकिन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के लिए यहां आना व्यावहारिक नहीं है। वह कभी आए भी नहीं। मंत्री के कक्ष में तालाबंद रहता है। यदाकदा ही खुलता है। मंत्री के स्टाफ के लिए बने कमरे भी विरान पड़े हैं। मंत्री कार्यालय के साथ संबद्ध कर्मचारी भी दूसरी जगहों पर अटैच कर दिए गए हैं। सिर्फ एक चपरासी है, वह भी अधिक समय सचिव के कार्यालय के पास ही गुजारता है। एक अधिकारी काम में लगे दिखते हैं।
सचिव व मंत्री के कार्यालय की दूरी कोई 20-22 मीटर होगी। सचिव के कम आगमन के कारण वहां भी गतिविधियां निर्जीव सी लगती हैं। कोई चहल-पहल भी नहीं दिखती है। मीडिया से जुड़े लोगों का आना-जाना न के बराबर है। सचिव के कार्यालय में बताया गया कि उनसे मिलने के लिए विद्युत कार्यालय जाना आसान होगा। सूचना भवन का तीसरा तल्ला बड़ी ताकत का केंद्र है, लेकिन स्वतंत्र मंत्री नहीं के कारण उसमें रौनक नहीं दिखती है। मंत्री के अभाव का असर भी देखा जा सकता है। मई के बाद बिहार समाचार का कोई अंक नहीं आया है। इस तरह और भी कई तरह की खामियां देखी जा सकती हैं।
कुल मिलाकर सरकार का चेहरा चमकाने वाला सूचना व जनसंपर्क विभाग का चेहरा ही धुंधला होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को इस महत्वपूर्ण विभाग की ओर ध्यान भी देना चाहिए ताकि सरकार का चेहरा चमके और विभाग का भी।